Move to Jagran APP

...और 18 साल बाद साधु वेष में परिवार से मिल गए महिमाशंकर

18 साल पहले घर छोड़ गए महिमाशंकर को जोगी भेष में घूमते देख वाराणसी के आयर गाँव में पहचाना गया तो चर्चा बन गई। हालांकि साधु ने संन्यास नहीं छोड़ा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 06 Sep 2016 06:44 PM (IST)Updated: Tue, 06 Sep 2016 06:57 PM (IST)

वाराणसी (जेएनएन)। घर से नाराज़ होकर निकले व्यक्ति को अचानक 18 साल बाद जोगी के भेष में घूमते हुए मिला। कल चोलापुर थानाक्षेत्र के आयर गाँव में एक व्यक्ति महिमाशंकर यादव ग्रामीणों के लिये चर्चा का विषय बने रहे । बात 18 साल पहले कि है जब महिमाशंकर यादव घरवालों से किसी बात पर नाराज़ होकर घर से चले गये। लेकिन अचानक वे जोगी के भेष में भिक्षा माँगते हुए 18 साल बाद दिखाई दिये। जिन्हें उनके आयर के रिश्तेदार ने रोक लिया और घर गाजीपुर वालों को सूचना देकर बुला लिया l बात दरअसल ये है कि महिमाशंकर यादव मूल रूप से गाजीपुर जिले के नंदगंज थानाक्षेत्र के कुसुमीकला बंधवा गाँव के रहने वाले हैं। जानकारी के अनुसार 36 वर्ष कि आयु में घर वालों कि डाँट से नाराज़ होकर वे घर छोड़कर कहीँ चले गये थे। जब वे भिक्षा माँगते हुए आयर राजेश के घर पहुँचे तो उनको राजेश ने पहचान लिया और उनको घर पर ही रोक लिया और रात को ही उनके घर वालों को भी सूचना दे दी। सूचना मिलते ही उनकी पत्नी बच्चे व अन्य परिजन आज सुबह आयर पहुँचे और उनसे घर चलने का निवेदन करने लगे लेकिन साधु बन चुके महिमाशंकर ने घर जाने से मना कर दिया और एक महीने में घर आकर भिक्षा लेने का भरोसा दिया।

loksabha election banner

घर से भागे व्यक्ति के साधु बनकर वापस आने कि सूचना जैसे ही ग्रामीणों को मिली वे लोग कौतूहलवश उन्हें देखने आ गये। ग्रामीणों और सगे सम्बन्धियों कि भीड़ देखते ही महिमाशंकर वहाँ से जाने कि जिद करने लगे पत्नी और बच्चों के साथ उनके माँ बुझीया देवी(75)और पिता सुखराम यादव (80) ने घर चलने की काफी मिन्नतें की लेकिन वे नहीं माने और इस आश्वासन पर कि एक बार वे भिक्षा लेने घर ज़रूर आयेंगे वहाँ से चले गये। मान्यता है कि साधु बन जाने के बाद जब तक साधु को उसकी माँ, पत्नी अथवा अन्य परिजनों के हाथों भिक्षा नहीं मिलती तब तक उनका जोग पूरा नहीं होता। पूछने पर महिमाशंकर ने बताया कि वह घर से निकलने के बाद कुछ दिनों तक भटकते रहे फिर साधुओं कि झुंड के साथ गोरखनाथ धाम से दीक्षा लेकर नाथ परम्परा के अनुसार साधु जीवन अपना लिया और छत्तीसगढ़ स्थित श्रंगी आश्रम में रहे। गुरु के आदेश पर ही भिक्षा लेने आये थे लेकिन पहचान लिये जाने के कारण वापस जा रहा हूँ अब कुछ दिनों बाद फिर भिक्षा के लिये घर जायेंगे। घर वापसी के सवाल पर उन्होंने माया त्याग देने का हवाला देकर घर जाने से इन्कार कर दिये। बता दें कि उनके पीछे उनकी पत्नी विद्या देवी (55) एक पुत्र अंकित यादव (20) दो बेटी खुश्बू यादव (24) व पूजा (19) हैं जबकि बड़े बेटे सुजीत यादव कि चार पाँच साल पहले मौत हो चुकी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.