अनंत चतुर्दशी : इस बार चतुर्दशी दो दिन, पहले दिन अनंत का मान
ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष में पंचमी की हानि व चतुर्दशी की वृद्धि है।
वाराणसी, जेएनएन। सनातन धर्म में भाद्रपद (भादो) मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर अनंत चतुर्दशी व्रत का विधान है। भगवान श्रीहरि को समर्पित यह पर्व इस बार 12 सितंबर को पड़ रहा है।
चतुर्दशी तिथि 12 की भोर 4.44 बजे लग जा रही है जो 13 सितंबर को सुबह 6.38 बजे तक रहेगी। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष में पंचमी की हानि व चतुर्दशी की वृद्धि है। उदया में चतुर्दशी तिथि दो दिन मिल रही है, लेकिन पर्व विशेष में कथा के अनुरोध से मध्याह्न तक चतुर्दशी शुभद मानी जाती है। इस लिहाज से अनंत चतुर्दशी के व्रत, पूजन-विधान पहले ही दिन पूरे किए जाएंगे।
पूजन व्रत का महत्व
अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के पूजन व्रत का महत्व है। इस व्रत को करने से धन-धान्य, पुत्र-पौत्रादि समेत हर तरह के सुखादि की प्राप्ति होती है। विधि-विधान से 14 वर्षों तक व्रत करने और नियत अवधि के बाद चतुर्दशी का उद्यापन करने से जीवन में कुछ भी पाना असंभव नहीं होता। अंत में सायुज्य के साथ ही वैकुंठ में स्थान मिलता है।
पूजन विधान
तिथि विशेष पर व्रतीजनों को प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर 'मेरे सभी तरह के पापों का क्षय के साथ ही शुभ फल की वृद्धि व भगवान अनंत विष्णु के प्रित्यर्थ अनंत चतुर्दशी व्रत करेंगे या करूंगीÓ का संकल्प लेना चाहिए। निवास स्थल स्वच्छ व सुशोभित कर चौकी आदि को मंडप स्वरूप में सजा कर श्रीहरि की सात फणों वाली शेष शैय्या युक्त मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। उनके समक्ष 14 गांठ का अनंत दोरक रख कर आम्र पल्लव और गंध-पुष्प, दीप, नैवेद्यादि से पूजन करना चाहिए। पंचामृत, पंजीरी, केला, मोदक आदि का प्रसाद अर्पण और भगवान विष्णु की आराधना कर भगवान अनंत की कथा श्रवण व अनंत धारण करना चाहिए।
रामनगर की रामलीला
रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला का शुभारंभ भी अनंत चतुर्दशी पर रावण जन्म व क्षीर सागर की झांकी से होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान की लीला का आरंभ चतुर्दशी तिथि में 12 सितंबर को ही हो रहा है जो एक माह तक चलती है।