एंबुलेंस फर्जीवाड़ा : चंदौली में गर्भवती का हो गया प्रसव, अब ढूंढे नहीं मिल रहीं प्रसूता, कारनामों की फेहरिश्त लंबी
चंदौली जिले में 102 एंबुलेंस कर्मियों ने अजब- गजब कारनामे किए हैं। प्रसव पीड़ा से कराह रहीं गर्भवतियों को सोनभद्र और वाराणसी के सरकारी अस्पतालों में पहुंचाया। चंदौली में गर्भवती का हो गया प्रसव अब ढूंढे नहीं मिल रहीं प्रसूताएं।
चंदौली, जागरण संवाददाता। 102 एंबुलेंस कर्मियों ने अजब- गजब कारनामें किए हैं। प्रसव पीड़ा से कराह रहीं गर्भवतियों को सोनभद्र व वाराणसी के सरकारी अस्पतालों में पहुंचाया। प्रसव के बाद उसी एंबुलेंस से उन्हें घर लाया गया। इसकी बाकायदा रजिस्टर ( पेसेंट केयर रिकार्ड) में इंट्री है। अस्पताल में प्रसव हो गया। जच्चा-बच्चा घर पहुंच गए। जांच में कई लाभार्थी ढूंढे नहीं मिल रही हैं। गांव में उस नाम की महिला ही नहीं है।
नौगढ़ विकास खंड के टिकुरिया गांव निवासी मुनिया पत्नी सहेंदर अप्रैल में को मधुपुर ( सोनभद्र ) नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस ले गई। यहां उसका प्रसव कराया गया। दो घंटे बाद ही जच्चा-बच्चा को उसी एंबुलेंस से गांव पहुंचाया गया है। रजिस्टर (पेसेंट डेटा रिकार्ड) में इसका उल्लेख है। जांच टीम ने आशा के जरिए पता कराया तो मालूम हुआ कि इस नाम की महिला ही गांव में नहीं है। यह तो नजीर है।
नियामताबाद विकास खंड की कई गर्भवती का प्रसव रामनगर (वाराणसी) में हुआ है, लेकिन जांच में इनका अता पता नहीं चल पाया। अब तक हुई जांच में कई ऐसे प्रकरण सामने आए हैं, जो चौंकाने वाले हैं। शासन की ओर से 102 एंबुलेंस से तीन माह की जांच चल रही है। टीम के अनुसार रजिस्टर में दर्ज कई गर्भवती व दो वर्ष तक के शिशुओं के डेटा फर्जी तो कुछ का संदिग्ध मिल रहा। ऐसे में अब संदिग्ध डाटा का भौतिक सत्यापन किया जाएगा, ताकि हकीकत पता चल सके। शहाबगंज, चकिया, बरहनी व नियामताबाद में सत्यापन धीमी गति से चल रहा है।
सत्यापन में टीम को छूट रहे पसीने : एंबुलेंस सेवा में फर्जीवाड़े का खुलासा करने के लिए नामित टीम को सत्यापन करने में पसीने छूट रहे हैं। जिला स्तर पर नोडल अधिकारी व सीएचसी स्तर पर अधीक्षकों की ओर से मामले की जांच की जा रही। सत्यापन के लिए जांच अधिकारियों की ओर से लाभार्थियों को काल किए जा रहे हैं। अधिकांश नंबरों से उचित जवाब न मिलकर फोन काट दिए जा रहे हैं। एक हजार से अधिक नंबर नाट रिचेवल मिले हैं। कई लाभार्थियों को फोन करने पर गांव की आशा फोन उठाती हैं। लाभार्थियों के सत्यापन में मुश्किलें आ रही हैं।
चालकों पर दबाव बना बढ़ाए गए फेरे : एक एंबुलेंस चालक ने बताया कि सेवा प्रदाता कंपनी की ओर से फेरे बढ़ाने का दबाव बनाया जाता था। बात न मानने पर नौकरी से निकलने की धमकी दी जाती थी। चालकों की ओर से फर्जी आधार व मोबाइल नंबर डालकर फेरों की संख्या बढ़ा दी जाती थी। फर्जी दबाव बनाए जाने व ड्यूटी लगाने के लिए वसूली की शिकायत पहले ही एंबुलेंस संघ कर चुका है।
संदेह के घेरे में सीएमओ, गड़बड़ी की आशंका : एंबुलेंसों से कितनी गर्भवती महिलाएं और बच्चे लाए गए, उसका स्थानीय स्तर पर सत्यापन स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्साधिकारी करते हैं। इसके बाद रिपोर्ट स्वास्थ्य महानिदेशालय भेज दी जाती है। जांच की आंच में तप रहे जिले में स्वास्थ्य अधिकारी संदेह के घेरे में आ गए हैं। सीएमओ डा. वाईके राय जिलेभर में कई टीम बनाकर जांच कराने का दावा कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह कि सीएचसी व पीएचसी के चिकित्सा प्रभारी लाभार्थियों का सत्यापन कर रहे हैं। इसके चलते इसमें गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है।
बोले अधिकारी : एंबुलेंसों के संचालन की सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा पारदर्शी व्यवस्था की गई है। तीमारदार 102 नंबर पर काल कर अपने स्वजन की परेशानी बताता है। इसके बाद लखनऊ नियंत्रण कक्ष से एंबुलेंस 15 मिनट के अंदर मौके पर पहुंच जाती है। फर्जीवाड़ा संभव नहीं है। - अमित मिश्र, जिला प्रोग्राम मैनेजर एंबुलेंस सेवा।