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गाजीपुर में ब्लैक फंगस को लेकर अलर्ट, सभी सीएचसी व पीएचसी के चिकित्साधिकारियों को दिया गया निर्देश

रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने तथा लंबे समय तक वेंटिलेटर में रहने तथा वोरिकोनाजोल थेरेपी से इस फंगस का संक्रमण होता है। ब्लैक फंगस के लक्षणों पर नजर रखें इसकी अनदेखी न करें। लक्षण होने पर चिकित्सक से परामर्श लें। स्टेरायड की मात्रा कम करें या बंद कर दें।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 04:08 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 04:08 PM (IST)
म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है।

गाजीपुर, जेएनएन। कोरोना रोगियों में होने वाली दूसरी खतरनाक बीमारी म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि जिले में अभी तक ब्लैक फंगस के एक भी रोगी सामने नहीं आ रहे हैं, फिर इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। सभी सीएचसी व पीएचसी के चिकित्साधिकारियों को इसे लेकर सजग रहने का निर्देश दिया गया है। जैसे ही ऐसा कोई रोगी मिले, तत्काल मुख्यालय को सूचित करें। पिछले दिनों शासन से हुई वीसी में सीएमओ को इसके लिए निर्देश किया गया। एसीएमओ व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. उमेश कुमार ने बताया कि अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों, स्टेरायड के इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने तथा लंबे समय तक वेंटिलेटर में रहने तथा वोरिकोनाजोल थेरेपी से इस फंगस का संक्रमण होता है। ब्लैक फंगस के लक्षणों पर नजर रखें तथा इसकी अनदेखी न करें। लक्षण होने पर चिकित्सक से परामर्श लें। साथ ही स्टेरायड की मात्रा कम करें या बंद कर दें।

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ऐसे होता है ब्लैक फंगस का उपचार

किसी मरीज में संक्रमण सिर्फ एक त्वचा से शुरू होता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। कुछ मरीजों का ऊपरी जबड़ा या कभी-कभी आंख निकालनी पड़ जाती है। उपचार में एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है। चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इसके उपचार के लिए फीजिशियन के अलावा, न्यूरोलॉजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन की टीम जरूरी है।

ब्लैक फंगस होने के कारण

- अनियंत्रित मधुमेह।

- स्टेरॉयड लेने के कारण इम्यूनोसप्रेशन।

- कोरोना संक्रमण अधिक होने के कारण अधिक समय आइसीयू में रहना।

रखें सवाधानी...

- धूल भरी जगह पर जाने से बचें।

- हमेशा मास्क लगाएं।

- खेतों या बागवानी में मिट्टी या खाद का काम करते समय शरीर को जूते, ग्लब्स से पूरी तरह ढंककर रखें।

- स्क्रब बाथ के जरिये सफाई पर पूरा ध्यान दें।

ब्लैक फंगस के लक्षण...

- चेहरे पर एक तरफ दर्द होना या सूजन।

- नाक जाम होना, नाक से काला या लाल स्राव होना।

- सीने में दर्द और सांस में परेशानी।

- दांत या जबड़े में दर्द, दांत टूटना।

- गाल की हड्डी में दर्द होना

- धुंधला या दोहरा दिखाई देना।

कोरोना मरीज ऐसे बचें ब्लैक फंगस से...

- कोरोना से ठीक हुए लोग ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें।

- खून में शुगर की ज्यादा नहीं होने दें तथा हाइपरग्लाइसेमिया) से बचें।

- एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर के परामर्श से ही करें।

- स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का पूरा ध्यान रखें।


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