स्कूल का गेट गिरने और बालक की मौत पर मऊ बीएसए सहित पांच के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज
मऊ में विद्यालय गेट का पिलर गिरने से मृत बालक राजवीर के पिता भीम ने बीएसएप्रधानाध्यापक ग्राम प्रधान जेई और ग्राम विकास अधिकारी के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराया है।
मऊ, जेएनएन। घोसी कोतवाली के बेलभद्र पुर में सोमवार को विद्यालय गेट का पिलर गिरने से मृत बालक राजवीर के पिता भीम ने बीएसए, प्रधानाध्यापक, ग्राम प्रधान, जेई और ग्राम विकास अधिकारी के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराया है। बेलभद्रपुर निवासी भीम सिंह पटेल का पुत्र राजवीर गांव की प्राथमिक पाठशाला में कक्षा दो का छात्र था। विद्यालय में सोमवार को पुस्तक लेने पहुंचा था। वह गेट के पास खड़ा होकर शिक्षकों के आने का इंतजार कर रहा था। इस बीच विद्यालय के प्रवेश द्वार का पिलर एवं कुछ दूर तक की दीवार अचानक गिर गई। इसकी चपेट में आकर राजवीर गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तत्काल उपचार हेतु अस्पताल ले जाया गया। दोपहर बाद बालक की मौत हो गई।
इसके बाद आक्रोशित नागरिकों ने गांव के सामने घोसी-मधुबन मार्ग पर चक्का जाम कर दिया। मौके पर उप जिलाधिकारी घोसी आशुतोष राय, तहसीलदार एससी यादव, नायब तहसीलदार राघवेश त्रिपाठी, कोतवाल समरबहादुर सिंह, दोहरीघाट थानाध्यक्ष सच्चिदानंद यादव एवं मधुबन थाने की पुलिस ग्रामीण ग्रामीणों को समझाने बुझाने लगे पर ग्रामीण अपनी मांग पर अड़ गए। मौके पर पहुंचे पूर्व विधायक सुधाकर सिंह एवं ब्लाक प्रमुख सुजीत सिंह ने भी वार्ता किया। ग्रामीण ग्राम प्रधान, प्रधानाध्यापक, ग्राम विकास अधिकारी एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित निर्माण से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किए जाने की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों ने मृत बालक के परिजनों को दस लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की भी मांग रखा था। रात में एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद मामला शांत हुआ।
किताब बांटने के दौरान शारीरिक दूरी का पालन नहीं
रानीपुर शिक्षा क्षेत्र के परिषदीय प्राथमिक विद्यालय पलिया नंबर एक में कक्षा एक से पांच तक के तकरीबन दो दर्जन से अधिक बच्चों को एक कक्ष में खड़ा कर रसोइयों सहित आधा दर्जन अध्यापकों की उपस्थिति में किताबों का वितरण किया गया। कुछ बच्चों को छोड़ दिया जाए तो बिना मास्क लगाए शारीरिक दूरियों की धज्जियां उड़ाते हुए एक दूसरे से सटे हुए थे। इसमें विद्यालय का स्टाफ भी शामिल था। एक तरफ बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी त्रिपाठी द्वारा सभी शिक्षकों को निर्देश दिया जा रहा है कि बच्चों के घर-घर जाकर शारीरिक दूरी का पालन करते हुए उन्हें किताब वितरित किया जाए तथा जिनके पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है उनके घर जाकर बच्चों को पढ़ाएं व समझाए लेकिन उदाहरण स्वरुप इक्का दुक्का छोड़ दिया जाय तो किसी अध्यापक ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया। इससे सवालियां निशान उठ रहे हैं।