वायु परीक्षण दिवस : शहर-ए-बनारस से हवाओं ने यूं ही नहीं बेरुखी कर ली Varanasi news
वायु प्रदूषण के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि किस कदर शहर की प्राण वायु को लेकर प्रयास किए गए हैं। जिससे यहां की आबोहवा दिन पर दिन खराब होती जा रही है।
वाराणसी [वंदना सिंह]। कुछ वर्षों में वायु प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ा कि अब काशी विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो चुकी है। वायु प्रदूषण के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि किस कदर शहर की प्राण वायु को लेकर प्रयास किए गए हैं। जिससे यहां की आबोहवा दिन पर दिन खराब होती जा रही है।
सबसे ज्यादा प्रदूषित माह : प्रत्येक वर्ष सितंबर से लेकर मार्च तक वायु प्रदूषण का आंकड़ा सर्वाधिक रहा है। इस मौसम में तापमान कम होना और प्रदूषित वायु का वायुमंडल में ऊंचाई तक न जा पाना एक वजह है। केयर फार एयर की अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया कि तापमान एक बड़ा कारण है। विभागों द्वारा आंकड़ों का गलत तथ्य पेश करने से भी दुश्वारी बढ़ी है। वायु प्रदूषण एक मौसमी संकट है, जबकि तथ्यात्मक रूप से ऐसा कहना सही नहीं है। प्रदूषण के कारक वर्षपर्यंत मौजूद और सक्रिय रहते हैं। गर्मियों में यह प्रदूषण वायुमंडल में ऊंचाई पर चला जाता है जिससे हमारी मशीने इसके आंकड़ों की गणना नहीं कर पातीं।
प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण कारण
1. तापमान कम रहने से पार्टिकुलेट मैटर धरती के करीब रहते हैं
2. दीपावली समेत वैवाहिक सीजन में अधिक पटाखे जलाना
3. ज्यादा ठंड के कारण जलने वाले लकड़ी के अलाव।
4. कचरा जलाना, ट्रांसपोर्ट आदि।
वायु प्रदूषण्ा के बारे में ये भी जानें
प्रदूषण में सर्वाधिक मात्रा पी एम10 की, हर जगह हर समय रहती है। यह वातावरण में विभिन्न कारणों से पैदा होने वाले धूल कणों से मिल कर बनता है जिस पर सवार हो कर अन्य खतरनाक पार्टिकल्स लोगों के फेफड़ों और रक्त धमनियों तक पहुंचते हैं। पी एम 2.5 पी एम 10 की तुलना में, हमेशा और हर जगह औसतन आधा रहता है।
बनारस कम से कम 20 किलोमीटर के दायरे में बसा हुआ, सघन आबादी वाला क्षेत्र है। हर क्षेत्र की अपनी विविधता, विशेषता आदि है। हर गली मोहल्ला अलग अलग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। बनारस में केवल एक ही वायु गुणवत्ता मापक यंत्र है जिसे अर्दली बाजार में लगाया गया है। स्वयं सीपीसीबी के मुताबिक एक स्टेशन से केवल 4 से 5 किलोमीटर के दायरे में ही हवा की जांच संभव है। दिल्ली, बंगलौर आदि शहरों में स्वयं सीपीसीबी द्वारा प्रत्येक 5 किलोमीटर पर एक मशीन लगाई गयी है। इसका अर्थ यह हुआ कि अर्दली बाजार स्टेशन से प्राप्त होने वाले आंकड़े पूरे बनारस का प्रतिनिधित्व नहीं करते। बनारस के अलग अलग कोने में कम से कम चार अन्य मशीनों के लगे बिना प्रदूषण की असली भयावहता उजागर हो पाना नामुमकिन है।
जानें कौन से हैं प्रदूषक तत्व
पीएम 2.5 और पीएम10 हवा में मौजूद इतने छोटे कण होते हैं जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन आदि होने लगती हैं। पीएम 10 वह कण हैं जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर होता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर भी कहते हैं। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्ट्रक्शन की जगह पर और कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ता है।
ये रहा आंकड़ा
एक जून 2016 से 31 मई 2017
पीएम 2.5-129
पीएम 10-261
एक जून 2017-31 मई 2018
पीएम 2.5-93
पीएम 10-181
एक जून 2018-31 मई 2019
पीएम 2.5-108
पीएम 10-227
बोेले चिकित्सक : वायु प्रदूषण से चेस्ट की बीमारियां जैसे दमा, एलर्जी, खांसी, कफ ज्यादा बढ़ जाती है। साथ ही जो हृदय रोग, ब्लडप्रेशर के मरीज हैं उनके लिए वायु प्रदूषण और मुसीबत बन गया है क्योंकि इससे हार्ट फेलियोर और हार्ट अटैक हो सकता है। गर्भवती महिलाओं व छोटे बच्चों के लिए यह खतरनाक होता है। वायु प्रदूषण के कारण दमा, एलर्जी आदि तो बच्चों को हो ही सकता है साथ ही निमोनिया होने की आशंका बढ़ जाती है। -डा.एके सिंह, वरिष्ठ परामर्शदाता, शिवप्रसादगुप्त मंडलीय अस्पताल।