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वायु प्रदूषण पर जारी रिपोर्ट में सूबे को लेकर झलकी चिंता

'एयर किल्स' रिपोर्ट ने किया दावा उत्तर प्रदेश के अन्य जिले भी घातक प्रदूषण की जद में।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Apr 2018 04:43 PM (IST)Updated: Fri, 27 Apr 2018 04:50 PM (IST)
वायु प्रदूषण पर जारी रिपोर्ट में सूबे को लेकर झलकी चिंता

वाराणसी : पर्यावरण के लिए कार्यरत संस्था क्लाइमेट एजेंडा की रिपोर्ट 'एयर किल्स' ने दावा किया है कि पूरा प्रदेश काले धुंए की चपेट में होने से आम आदमी को कहीं अधिक दुश्वारियों से दोचार होना पड़ रहा है। राज्य में वायु प्रदूषण की स्थिति पर पहली विस्तृत रिपोर्ट 'एयर किल्स' में मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्री के जिलों में वायु प्रदूषण के हालात दिल्ली और लखनऊ से भी खराब पाए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के आधार पर पूरा उत्तर प्रदेश प्रदूषित कचरा जलाने और डीजल का उपयोग करने से घोल में जहर घोल रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मानकों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य आपातकाल के हालात हैं।

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हालात से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता जाच प्रक्त्रिया के प्रादेशिक स्तर पर विस्तार की माग शुक्रवार को पराड़कर भवन में 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान के अंतर्गत क्लाइमेट एजेंडा के द्वारा उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण के हालात पर प्रादेशिक रिपोर्ट जारी की गयी। यह रिपोर्ट 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान के अंतर्गत जुटाये गए 15 जिलों के वायु प्रदूषण के आकड़ों पर आधारित है। विशिष्ट आकड़ों के आधार पर तैयार की गयी इस रिपोर्ट को वायु प्रदूषण के मुद्दे पर गठित जिला फोरम के सदस्यों, विजन संस्थान की निदेशक जागृति राही, सर्वोदय विकास समिति निदेशक सतीश सिंह, 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान की सचिवालय प्रभारी सानिया अनवर और क्लाइमेट एजेंडा की ओर से एकता शेखर ने संयुक्त रूप से जारी किया। रिपोर्ट में सामने आये आकड़ों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार पूरा प्रदेश ही वायु प्रदूषण की चपेट में है। रिपोर्ट के माध्यम से यह दावा किया गया कि ज्यादातर हिस्सों में स्वास्थ्य आपातकाल सरीखे हालात हैं। वायु प्रदूषण पर जारी रिपोर्ट के बारे में बताते हुए एकता शेखर ने कहा कि 'उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और शहरी इलाकों के वायु प्रदूषण का अध्ययन कर जारी की जाने वाली यह अब तक की पहली प्रदेश आधारित रिपोर्ट है. एयर किल्स नामक यह रिपोर्ट हमें बताती है की वायु प्रदूषण के श्रोतों को चिन्हित किया जाना और सख्ती से ख़त्म करना अब जरूरी हो गया है. साथ ही, इस रिपोर्ट ने हमें वायु प्रदूषण के सन्दर्भ में चुनिन्दा शहरों की सीमा से बाहर निकल कर सोचने के लिए भी मजबूत तथ्य दिए हैं'। सामाजिक कार्यकर्ता जागृति राही ने कहा कि 'क्लाइमेट एजेंडा द्वारा तैयार यह रिपोर्ट केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किये जाने वाले वायु गुणवत्ता जाच का दायरा बढाने की माग करती है। वर्तमान में, नेशनल ऐम्बियेंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग (नाकम) नेटवर्क के अंतर्गत यह जाच केवल सात शहरों तक सीमित है जबकि वायु प्रदूषण नियंत्रण के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा किसी तरह के उपायों से अछूता है'। जिला फोरम के एक अन्य सदस्य सदस्य श्री प्रमिल द्विवेदी ने कहा कि रिपोर्ट में उन जगहों को अधिक प्रदूषित पाया गया जहा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नाकम नेटवर्क के तहत निगरानी नहीं करता। जिसमें बलिया, मऊ, आजमगढ़, गोरखपुर आदि का इस लिस्ट में ऊपर होना इस बात का संकेत है कि पूरा प्रदेश काले धुंए की चपेट में है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि वाराणसी, लखनऊ, कानपुर और आगरा जैसे शहर जिनके बारे में चर्चा ज्यादा होती है, प्रदेश के दूसरे अन्य नगर भी इनसे ज्यादा या बराबर प्रदूषित हैं। उपाय के तौर पर स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित बिजली चालित वाहन, सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग, व कचरा जलाने से मुक्ति पा कर प्रदेश देश के सर्वाधिक स्वच्छ राज्यों में शामिल हो सकता है। इस अवसर पर 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान की सचिवालय प्रभारी सानिया अनवर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कचरा जलाना और डीजल का उपयोग आबोहवा में जहर घोल रहा है। बाधित बिजली आपूर्ति के कारण डीजल जेनसेट पर चलने वाले बाजार, अनियंत्रित निर्माण कार्य और टूटी सडकों से उड़ती धूल, कृषि कार्य में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक और खाद, तापीय विद्युत घर और लचर सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ने मिल कर इस प्रदेश को एक गैस चेंबर में तब्दील कर दिया है। ऐसे में यह जरूरी है कि नाकम नेटवर्क के विस्तार के साथ-साथ सभी उपायों को प्रादेशिक स्तर पर भी लागू किया जाए।


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