Move to Jagran APP

प्रदूषण कर रहा फेफड़े को कमजोर, साइलेंट किलर साबित हो रहा हवा में घुला जहर

सावधान होने का समय अब आ गया है, पहले फेफड़े की क्षमता जहां 500 पीईएफआर (पीक एक्सपीरेटरी फ्लो रेट) थी वहीं 25 प्रतिशत घट कर अब करीब 410 पीईएफआर हो गई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 11:59 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 11:59 AM (IST)
प्रदूषण कर रहा फेफड़े को कमजोर, साइलेंट किलर साबित हो रहा हवा में घुला जहर
प्रदूषण कर रहा फेफड़े को कमजोर, साइलेंट किलर साबित हो रहा हवा में घुला जहर

वाराणसी (जेएनएन) । विकास के नाम पर अंधाधुंध वृक्षों की कटाई, ऊंची इमारतें भले ही सुविधा भोगी रही है, लेकिन इसका असर जीवन पर भी पडऩे लगा है। धूल, धुएं के कारण हवा की भी सेहत खराब होने लगी है। हवा में घुल रहा जहर अब लोगों के फेफड़े कमजोर करने लगा है। पहले फेफड़े की क्षमता जहां 500 पीईएफआर (पीक एक्सपीरेटरी फ्लो रेट) थी वहीं 25 प्रतिशत घट कर अब करीब 410 पीईएफआर हो गई है।

loksabha election banner

बीएचयू के टीबी एंड चेस्ट विभाग के प्रो. एसके अग्रवाल ने बताया कि वायुमंडल में फैला प्रदूषण साइलेंट किलर साबित हो रहा है, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर को खोखला कर रहा है। बताया कि अभी तक हम पीएम.25 और पीएम 10 की ही बात कर रहे हैं, जबकि वायुमंडल में पीएम 1 की भी उपस्थिति हो चुकी है। पीएम 1 को भी लेकर शोध करने की जरूरत है, जिसके कारण शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। छोटे-छोटे कण खून में भी प्रवेश कर रहे हैं। हालांकि शुरुआत में यह सामान्य में लगेगा, लेकिन आगे चलकर यह स्थिति जानलेवा में बदल सकती है। प्रो. अग्रवाल ने बताया कि यह लोगों को चाहिए कि सड़क पर निकलें तो मास्क जरूर लगाएं। साथ ही प्रशासन को भी चाहिए कि अनावश्यक धूल या धुएं पर सख्ती से रोक लगाई जाएं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.