प्रदूषण कर रहा फेफड़े को कमजोर, साइलेंट किलर साबित हो रहा हवा में घुला जहर
सावधान होने का समय अब आ गया है, पहले फेफड़े की क्षमता जहां 500 पीईएफआर (पीक एक्सपीरेटरी फ्लो रेट) थी वहीं 25 प्रतिशत घट कर अब करीब 410 पीईएफआर हो गई है।
वाराणसी (जेएनएन) । विकास के नाम पर अंधाधुंध वृक्षों की कटाई, ऊंची इमारतें भले ही सुविधा भोगी रही है, लेकिन इसका असर जीवन पर भी पडऩे लगा है। धूल, धुएं के कारण हवा की भी सेहत खराब होने लगी है। हवा में घुल रहा जहर अब लोगों के फेफड़े कमजोर करने लगा है। पहले फेफड़े की क्षमता जहां 500 पीईएफआर (पीक एक्सपीरेटरी फ्लो रेट) थी वहीं 25 प्रतिशत घट कर अब करीब 410 पीईएफआर हो गई है।
बीएचयू के टीबी एंड चेस्ट विभाग के प्रो. एसके अग्रवाल ने बताया कि वायुमंडल में फैला प्रदूषण साइलेंट किलर साबित हो रहा है, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर को खोखला कर रहा है। बताया कि अभी तक हम पीएम.25 और पीएम 10 की ही बात कर रहे हैं, जबकि वायुमंडल में पीएम 1 की भी उपस्थिति हो चुकी है। पीएम 1 को भी लेकर शोध करने की जरूरत है, जिसके कारण शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। छोटे-छोटे कण खून में भी प्रवेश कर रहे हैं। हालांकि शुरुआत में यह सामान्य में लगेगा, लेकिन आगे चलकर यह स्थिति जानलेवा में बदल सकती है। प्रो. अग्रवाल ने बताया कि यह लोगों को चाहिए कि सड़क पर निकलें तो मास्क जरूर लगाएं। साथ ही प्रशासन को भी चाहिए कि अनावश्यक धूल या धुएं पर सख्ती से रोक लगाई जाएं।