Air Pollution in varanasi : शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक ने दी चुनौती, हवाओं में घुली दुश्वारी
वाराणसी में मंगलवार की सुबह से पहली बार धुंध की एक मोटी परत और कोहरा दोनों ही असर अंधेरे व धुंधलेपन के रूप में दिख रहा है। शहर भर में इसका प्रभाव इतना ज्यादा है कि लग रहा है कि मानो आकाश में बादल छा चुका है।
वाराणसी, जेएनएन। शहर में मंगलवार की सुबह से पहली बार धुंध की एक मोटी परत और कोहरा दोनों ही असर अंधेरे व धुंधलेपन के रूप में दिख रहा है। शहर भर में इसका प्रभाव इतना ज्यादा है कि लग रहा है कि मानो आकाश में बादल छा चुका है। आज ही पहली बार धुंध के साथ घना कोहरा भी वातावरण में अपनी जमीन तैयार कर रहा है। मंगलवार को अभी तक शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 306 अंक तक पहुंच चुका है। यह सोमवार के मुकाबले 34 अंक अधिक है।
शहर में निर्माण कार्य तेजी से चालू हैं, मगर ठीकेदार सारे प्रदूषण नियंत्रण के नियम-कायदे भूल धूल व मिट्टी से पूरी आबोहवा खराब करने पर तुले हैं। इस दौरान वातावरण में सूक्ष्म प्रदूषक तत्वों यानी कि पीएम 2.5 की मात्रा सबसे ज्यादा 415 रही, वहीं पीएम-10 वातावरण में 409 अंक के स्तर पर रहा। ओजोन का प्रदूषण बढ़कर 235 व नाइट्रोजन ऑक्साइड 163 अंक पर पहुंच गया। बनारस के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में नाटी इमली, लंका, सामनेघाट, अर्दली बाजार इत्यादि रहे।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि अर्दली बाजार के इलाके में पानी के छिड़काव का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। वहीं अंडर ग्राउंड बिजली के कारण केबल बिछाने से तमाम गड्ढे शहर भर में खोद कर छोड़ दिये गए हैं। वहीं विभाग केबल डालने के बाद उन गड्ढों को बंद करना भूल जाता है, जिससे सड़कों पर निरंतर धूल-धक्कड़ जमा रहता है। इस तरह से सड़कों पर चलने वाले राहगीरों को श्वांस व एलर्जी का खतरा बढ़ रहा है। यदि ये जिम्मेदार विभाग जल्द नहीं चेतेंगे तो बनारस फिर से धूल व गैस चेंबर में तब्दील हो जाएगा।