वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में चार साल बाद ऑनलाइन होगा शोध प्रवेश परीक्षा फार्म
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में करीब चार साल बाद शोध प्रवेश परीक्षा के फार्म ऑनलाइन होगा। इसके लिए कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष से रिक्त सीटों का ब्यौरा मांगा है। शोध प्रवेश परीक्षा के आवेदन के लिए छात्र कई बार मांग भी कर चुके हैं।
वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में करीब चार साल बाद शोध प्रवेश परीक्षा के फार्म ऑनलाइन होगा। इसके लिए कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष से रिक्त सीटों का ब्यौरा मांगा है। साथ ही इसी माह के अंत तक शोध प्रवेश परीक्षा का फार्म ऑनलाइन करने का निर्देश दिया है।
यूजीसी सभी विश्वविद्यालयों को हर साल शोध प्रवेश परीक्षा कराने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद संस्कृत विश्वविद्यालय में वर्ष 2017 के बाद शोध प्रवेश परीक्षा नहीं कराई गई। जबकि शोध प्रवेश परीक्षा के आवेदन के लिए छात्र कई बार मांग भी कर चुके हैं।
नवनियुक्त कुलपति को इसकी जानकारी संकायाध्यक्षों एवं विभागाध्यक्षों के साथ वन-टू-वन वार्ता के दौरान 24 मई को हुई। इसे उन्होंनें गंभीरता लिया। इस संबंध में उन्होंने मंगलवार को छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो. रामपूजन पांडेय से बात भी की। उन्होंने छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष रिक्त सीटों का विवरण भी मांगा है ताकि यथाशीघ्र शोध प्रवेश के लिए विज्ञापन कराया जा सके। कुलपति के निर्देश पर छात्र कल्याण संकाय कार्यालय शोध प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया में जुट गया। इस क्रम में शोध प्रकोष्ठ से शोधार्थियों की सूची मांगी गई है। विभागवार किस किस शिक्षक के निर्देशन में कितने और कौन-कौन छात्र शोध कर रहे हैं। शोध प्रकोष्ठ इसकी सूची बनाने में जुट गया है। तीन साल से अधिक समय बीत जाने के कारण सभी अध्यापकों के निर्देशन में सीटें रिक्त होने की संभावना जताई जा रही है। छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष ने बताया कि कुलपति के निर्देश पर प्रवेश परीक्षा फार्म इसी माह के अंत तक ऑनलाइन करने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यूजीसी, जेआरएफ, नेट, गेट या इससे समकक्ष उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा नहीं देनी होगी। हालांकि प्रवेश परीक्षा फार्म उन्हें भी अनिवार्य रूप से भरना होगा।
शास्त्री में भी लागू होगा न्यूनतम समान पाठ्यक्रम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति तहत सूबे के सभी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में जुलाई से न्यूनतम समान पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी चल रही है। इस क्रम में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी शास्त्री (स्नातक) का पाठ्यक्रम का विस्तृत पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए पांचों संकायाध्यक्षों की एक समिति गठित कर दी है। समिति के सदस्यों से आवश्यकतानुसार अन्य विश्वविद्यालयों के विद्वानों से भी सहयोग लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया गया है।