34 साल बाद बनने जा रहा है काशी विश्वनाथ मंदिर का नियम-कानून
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का 1983 में उत्तर प्रदेश शासन ने अधिग्रहण किया, इसके लिए अधिनियम तो बनाए गए लेकिन नियम-उपनियम नहीं बनाया गया।
वाराणसी (जागरण संवाददाता)। काशीपुराधिपति देवाधिदेव महादेव दरबार यानी श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में 34 साल बाद अब नियम-उपनियम बनाए जाएंगे। इसे अगले दो माह में तैयार कर लिया जाएगा और तद्नुसार ही संचालन भी किया जाएगा। न्यास परिषद की मंडलायुक्त सभागार में शनिवार को आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया।
इसमें शामिल न्याय एवं विधि परामर्श विभाग के प्रमुख सचिव उमेश कुमार ने यह भरोसा दिया। वास्तव में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का 1983 में उत्तर प्रदेश शासन ने अधिग्रहण किया। इसके लिए अधिनियम तो बनाए गए लेकिन नियम-उपनियम नहीं बनाया गया। इससे शीर्ष देवालय में पूजन-अर्चन तो सनातनी परंपरा के हिसाब से किए जाते रहे लेकिन पुजारियों-कर्मचारियों की नियुक्ति, वेतन-मानदेय और सेवानिवृत्ति के बाद देयकों को लेकर सदा से पेंच फंसा रहा। इससे संबंधित कई मामले न्यायालयों में भी लंबित हैं।
न्यास अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी की अध्यक्षता में दोपहर बाद बैठक शुरू होते ही इस प्रमुख मसले को लेकर न्यासियों ने घेरेबंदी शुरू की। ऐसे में फौरी तौर पर पुजारियों-कर्मचारियों का वेतन 20 फीसद बढ़ाने का निर्णय ले लिया गया। साथ ही सेवानिवृत्ति की उम्र 65 से घटाकर 60 वर्ष करने पर सहमति बनी। साथ ही नियम-उपनियम बनाने के लिए समय सीमा भी तय कर दी गई।
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पूर्व में सेवानिवृत दो पुजारियों को 11-11 लाख रुपये देने का निर्णय लिया गया। कालेश्वर मंदिर में तैनात सेवादार और दो सफाई कर्मियों को प्रतिमाह 350 रुपये सेलफोन खर्च देने का भी निर्णय लिया गया। मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. सुभाषचंद्र यादव, सीईओ एसएन त्रिपाठी, एसीईओ निखिलेश मिश्र, के अलावा प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, दीपक मालवीय, प्रदीप बजाज समेत न्यासी थे।
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