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जांच अधिकारी को ही बना दिया आरोपित, मंडी समिति पहड़िया में अनियमितता और भ्रष्टाचार का मामला

लाल बहादुर शास्त्री कृषि उत्पादन मंडी समिति पहड़िया में अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं।

By Edited By: Published: Tue, 10 Mar 2020 12:28 AM (IST)Updated: Tue, 10 Mar 2020 03:01 AM (IST)
जांच अधिकारी को ही बना दिया आरोपित, मंडी समिति पहड़िया में अनियमितता और भ्रष्टाचार का मामला
जांच अधिकारी को ही बना दिया आरोपित, मंडी समिति पहड़िया में अनियमितता और भ्रष्टाचार का मामला

वाराणसी, जेएनएन। लाल बहादुर शास्त्री कृषि उत्पादन मंडी समिति पहड़िया में अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामले समय-समय पर सामने आते रहते हैं। ऐसे मामलों को लेकर अधिकारियों में खींचतान चलती रहती है। अब एक मामले में जांच अधिकारी के रिपोर्ट पेश करने के बाद उसे ही आरोपित बनाने की जानकारी मिली है। इतना ही नहीं मुकदमा भी दर्ज करा दिया। उच्चाधिकारियों ने उपनिदेशक निर्माण (डीडीसी) के मुकदमा दर्ज कराने को मनमाना बताया है।

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मंडी परिसर में निर्माण के लिए तत्कालीन डीडीसी आरके वर्मा के निर्देश पर लेखाधिकारी सिद्ध गोपाल कुरील ने ठीकेदारों को भुगतान कर दिया। अग्रिम भुगतान के बाद भी काम पूरा नहीं करने की शिकायत आई। बाद में इस मामले में भुगतान करने वाले अधिकारियों पर भी प्रश्न चिह्न लग गया। मामले की जाच के लिए तत्कालीन संयुक्त निदेशक निर्माण (जेडीसी) पीसी जैन की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। जेडीसी की जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन डीडीसी आरके वर्मा, विमलेश चंद्र मिश्र, सहायक लेखधिकारी सिद्ध गोपाल कुरील, अवर अभियंता अखिलेश्वर लाल श्रीवास्तव व सुनीता केनिलंबन व विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई। इसके बाद डीडीसी रामनरेश सोनकर ने जाच कमेटी के अध्यक्ष जेडीसी पीसी जैन व सदस्य गोपाल शंकर पर भी प्रशासनिक दायित्वों के निर्वहन में शिथिलिता के आरोप में अनुशासनिक कार्रवाई कर दी। हालांकि मंडी निदेशक ने निर्माण परियोजना में विलंब मानते हुए कहा कि बाड अंतिम नहीं हुए है। ऐसे में संभव हो तो शेष कार्य जल्द पूरा कराया जाए।

काम समय से पूरा न हो तो ठीकेदारों पर अभियोग दर्ज किया जाए। निदेशक के इस आदेश के बावजूद डीडीसी ने तेजी दिखाते हुए बिना अनुमति के ही ठीकेदारों, अधिकारियों सहित जाच समिति के अध्यक्ष व सदस्य पर भी मुकदमा दर्ज करा दिया। वहीं, मंडी निदेशक ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर उनकी अनुमति के बिना ही मुकदमा दर्ज कराने की जानकारी दी है। साथ ही लिखा है कि इसकी विवेचना सुयोग्य विवेचक से कराई जाए। इस मामले में मंडी निदेशक जेपी सिंह का पक्ष लेने का प्रयास किया गया लेकिन वह फोन रिसीव नहीं किए।


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