जांच अधिकारी को ही बना दिया आरोपित, आपसी खींचतान में दर्ज करा दिया गया मुकदमा
लाल बहादुर शास्त्री कृषि उत्पादन मंडी समिति पहडिय़ा में अनियमितता और भ्रष्टाचार मामले में जांच अधिकारी के रिपोर्ट पेश करने के बाद उसे ही आरोपित बना देने की बात सामने आई है।
वाराणसी, जेएनएन। लाल बहादुर शास्त्री कृषि उत्पादन मंडी समिति पहडिय़ा में अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामले समय-समय पर सामने आते रहते हैं। ऐसे मामलों को लेकर अधिकारियों तक में खींचतान चलती रहती है। अब एक मामले में जांच अधिकारी के रिपोर्ट पेश करने के बाद उसे ही आरोपित बना देने की बात सामने आई है। इतना ही नहीं मुकदमा भी दर्ज करा दिया। उच्चाधिकारियों ने कार्रवाई करने वाले उपनिदेशक निर्माण (डीडीसी) द्वारा मुकदमा दर्ज कराने को मनमाना हरकत करार दिया है।
मंडी परिसर में निर्माण कार्य के लिए तत्कालीन डीडीसी आरके वर्मा के निर्देश पर लेखाधिकारी सिद्ध गोपाल कुरील ने ठेकेदारों को भुगतान कर दिया। अग्रिम भुगतान के बाद भी काम पूरा नहीं करने की शिकायत सामने आई। बाद में इस मामले में भुगतान करने वाले अधिकारियों पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया। मामले की जांच के लिए तत्कालीन संयुक्त निदेशक निर्माण (जेडीसी) पीसी जैन की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई। जेडीसी ने जांच कर रिपोर्ट पेश की जिसके आधार पर तत्कालीन डीडीसी आरके वर्मा, विमलेश चंद्र मिश्रा, सहायक लेखधिकारी सिद्ध गोपाल कुरील, अवर अभियंता अखिलेश्वर लाल श्रीवास्तव व सुनीता कोनिलंबन कर विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई। इसके बाद डीडीसी रामनरेश सोनकर ने जांच कमेटी के अध्यक्ष जेडीसी पीसी जैन व सदस्य गोपाल शंकर पर भी प्रशाशनिक दायित्वों के निर्वहन में शिथिलिता बरतने के आरोप में बिना निलंबित किए अनुशासनिक कार्रवाई कर दी।
हालांकि इस मामले में मंडी निदेशक ने आदेश दिया था कि निर्माण परियोजना अत्यंत विलंबित हो चुकी है लेकिन बांड अभी अंतिम नहीं हुए है। अत: यदि संभव हो तो शेष कार्य को अविलंब पूरा कराया जाए। फिर भी काम समय से पूरा न हो तब ठेकेदारों पर अभियोग पंजीकरण करने की कार्रवाई की जाए। निदेशक के स्पष्ट आदेश के बावजूद डीडीसी ने तेजी दिखाते हुए बिना अनुमति के ही ठेकेदारों, अधिकारियों सहित जांच समिति के अध्यक्ष व सदस्य पर भी मुकदमा दर्ज करा दिया। इस बाबत मंडी निदेशक द्वारा वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिख कर अवगत कराया गया है कि उनकी अनुमति के बिना ही मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। अब मुकदमा दर्ज हो चुका है तो इसकी विवेचना सुयोग्य विवेचक द्वारा कराई जाए। इस मामले में मंडी निदेशक जेपी सिंह का पक्ष लेने का प्रयास किया गया लेकिन वह फोन रिसीव नहीं किए।