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जौनपुर के अब्दुल अहमद हर वर्ष स्थापित करते हैं देवी दुर्गा की प्रतिमा, चौंकाती है उनकी दास्‍तान

अब्दुल अहमद ने अपनी बहन की शादी में जो निमंत्रण पत्र बंटवाए थे उसके ऊपर भगवान गणेश सहित अन्य हिंदू देवी-देवताओं की तस्‍वीर छपवाई थी। सिर्फ यही नहीं वह हर साल खुद दुर्गा पूजा के लिए मूर्ति बैठाते हैं और आरती पूजन करते हैं।

By pramod kumar pandeyEdited By: Abhishek sharmaPublished: Sat, 01 Oct 2022 03:00 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 03:00 PM (IST)
जौनपुर के अब्दुल अहमद हर वर्ष स्थापित करते हैं देवी दुर्गा की प्रतिमा, चौंकाती है उनकी दास्‍तान
दुर्गा पूजा व नमाज साथ-साथ देती है हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश।

जौनपुर, जागरण संवाददाता। सम्मनपुर निवासी अब्दुल अहमद की अनूठी दुर्गा पूजा दूर-दूर तक जानी जाती है। यह आठ वर्षों से हर नवरात्र में पंडाल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं और स्वयं विधिवत आरती-पूजन भी करते हैं। इसके साथ ही पांचों वक्त की नमाज भी अदा करते हैं।

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सनातन संस्कृति के प्रति उनकी आस्था के कारण शुरू में उन्हें कट्टरपंथियों का विरोध भी झेलना पड़ा, किंतु मां में मन ऐसा रमा कि विरोधियों की परवाह किए बगैर वह मां की भक्ति में लगे हैं। अब्दुल कहते हैं कि क्या हिंदू, क्या मुसलमान... ईश्वर ने हमें नहीं बांटा, हमने ईश्वर को अपनी सुविधानुसार धर्म-संप्रदायों में बांट दिया। इस बार भी उन्होंने मां की प्रतिमा स्थापित की है और विधिवत आरती-पूजन कर रहे हैं।

एक तरफ जहां हिंदू समाज के कुछ लोग अपने ही देवी-देवताओं पर इंटरनेट मीडिया में अभद्र टिप्पणी कर दे रहे हैं। असुरों को अपना पूर्वज बता कर उन्हें ही भगवान का दर्जा तक दे रहे हैं वहीं अब्दुल अहमद की देवी दुर्गा के प्रति आस्था मिसाल है। पूजा व आरती के साथ ही यह समय-समय पर नमाज अदा कर हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दे रहे हैं। गंगा जमुनी तहज़ीब, अनेकता में एकता और भाईचारा जनपद की पहचान है।

शिक्षा व संस्कृति में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले जौनपुर में ऐसी बहुत सी मिसाल देखने को मिलती है। इनके इस नेक पहल में गांव के हिंदू-मुस्लिम दोनों समाज के लोग साथ व सहयोग दे रहे हैं। मुस्लिम समाज लोग भी समय निकाल कर इनके साथ पंडाल तक पहुंचकर मां की आरती में शामिल हो रहे हैं।

बहन की शादी के कार्ड पर छपवाए थे भगवान गणेश की फोटो

लगभग तीन वर्ष पूर्व अब्दुल अहमद अपनी बहन की शादी में जो निमंत्रण पत्र बंटवाए थे उसके ऊपर भगवान गणेश सहित अन्य हिंदू देवी-देवताओं की फोटो छपवाए थे और अंदर उर्दू भाषा में लिखा गया था। शादी में सभी वर्ग के लोग जुटे और विदाई की बेला तक डटे रहे। यही नहीं यह हर हिंदू त्योहार में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं तो ईद-बकरीद में हिंदू समाज के लोग उनके आवास पर जुटते हैं। गांव में दोनों धर्मों का त्योहार बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। अब्दुल अहमद कहते हैं कि हिंदू ,मुस्लिम, सिख और ईसाई हम आपस में भाई-भाई हैं। सभी धर्मों का आदर करो। इतना करने मात्र से ही धर्म के नाम पर आपसी विद्वेष की कलुषित भावना स्वतः दूर भाग जाएगी और वसुधैव कुटुंबकम् के भाव से मन ओत-प्रोत हो जाएगा।


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