Move to Jagran APP

जर्मनी के हीडलबर्ग और उर्जबर्ग विश्वविद्यालयों में गूंजेंगे वेदमंत्र और विदेशी समझेंगे ग्रह नक्षत्रों की चाल

जर्मनी व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है।

By Edited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 03:22 AM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 01:19 PM (IST)
जर्मनी के हीडलबर्ग और उर्जबर्ग विश्वविद्यालयों में गूंजेंगे वेदमंत्र और विदेशी समझेंगे ग्रह नक्षत्रों की चाल
जर्मनी के हीडलबर्ग और उर्जबर्ग विश्वविद्यालयों में गूंजेंगे वेदमंत्र और विदेशी समझेंगे ग्रह नक्षत्रों की चाल

वाराणसी, जेएनएन। जर्मनी व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। एमओयू के क्रम में जर्मनी से साउथ एशिया इंस्टीट्यूट, हीडलबर्ग व उर्जबर्ग विश्वविद्यालय का आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को यहां पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति, अध्यापकों व अधिकारियों से वार्ताकर विवि का भ्रमण किया। परिसर स्थित योग साधना केंद्र में समारोह में प्रतिनिधिमंडल अध्यापकों से प्राच्य विद्या के गूढ़ रहस्यों को समझने का प्रयास किया। विवि के पाठ्यक्रम व विभागों की जानकारी ली। उम्‍मीद जगी है कि अब विदेशी विश्‍वविद्यालयों में भी वेदमंत्र गूंजेंगे और विदेशी लोग भी ग्रह नक्षत्रों की चाल पर नजर रखेंगे।

loksabha election banner

इस दौरान कार्यक्रम के संयोजक जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय (पुरी) के पूर्व कुलपति व विवि के वरिष्ठ आचार्य प्रो. गंगाधर पंडा ने कहा कि भारत व जर्मनी का शैक्षिक व सांस्कृतिक संबंध प्राचीनकाल से चला आ रहा है। मैक्समुलर, गेथे, व रथ सहित अन्य विद्वान संस्कृत भाषा पर काफी काम कर चुके हैं। हीडलबर्ग विवि की प्रो. उटे ह्यूस्कन ने कहा कि शैक्षिक आदान-प्रदान दोनों देशों के विकास में उपयोगी साबित होगा। यहां के पुस्तकालय में रखीं पांडुलिपियां विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हैं। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि जर्मनी से मिले शैक्षिक आदान-प्रदान के प्रस्ताव को जल्द क्रियान्वित किया जाएगा। कहा कि दोनों संस्थानों के बीच होने वाला समझौता विद्यार्थियों व शोधार्थियों के लिए काफी उपयोगी होगा। समारोह में उर्जबर्ग विश्वविद्यालय (जर्मनी) के योर्ग गंग नागल, जर्मन के शोधार्थी, प्रो. आनंद मिश्र, प्रो. रमेश प्रसाद द्विवेदी, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, कुलसचिव राज बहादुर, लाइब्रेरियन डा. सूर्यकांत आदि थे। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. रमेश प्रसाद ने किया।

देखी पांडुलिपियां, समझी ग्रह-नक्षत्रों की चाल : जर्मनी के प्रतिनिधिमंडल ने सरस्वती भवन पुस्तकालय व वेधशाला का भी अवलोकन किया। पांडुलिपियों के संरक्षण की सराहना की। वहीं, वेधशाला में ग्रह-नक्षत्रों की चाल समझने का प्रयास किया। इस दौरान ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. उमाशंकर शुक्ल ने प्रतिनिधिमंडल को चक्रयंत्रम, सूर्य घड़ी, याम्योत्तर धरातनीय-तुरीय यंत्रम, मकर राशि वलय, क्रांतिवूत्त यंत्रम्, नाड़ी वलय यंत्रम् भारतीय तारा मंडल, आदि की जानकारी दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.