बनारस रेल इंजन कारखाना में 9000 अश्व शक्ति के रेल इंजन का निर्माण, मालवाहक ट्रेन में नहीं होंगे गार्ड
बनारस रेल इंजन कारखाना के महाप्रबंधक अंजली गोयल ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने बरेका को 9000 अश्वशक्ति का इंजन बरेका में बनेगा। इस वर्ष ऐसे महज दो इंजन बनेंगे। प्लेटफार्म के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का कार्य के लिए तैयार रहने को रेलवे बोर्ड ने निर्देशित किया है।
वाराणसी, जेएनएन। बनारस रेल इंजन कारखाना के महाप्रबंधक अंजली गोयल ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने बरेका को 9000 अश्वशक्ति का इंजन बरेका में बनेगा। इस वर्ष ऐसे महज दो इंजन बनेंगे। प्लेटफार्म के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का कार्य के लिए तैयार रहने को रेलवे बोर्ड ने निर्देशित किया है। प्रोद्योगिकी हस्तांतरण के क्षेत्र में शेल, बोगी, ट्रेक्शन मोटर, लोकोमोटिव असेंबली, परीक्षण एवं कमिशनिंग शामिल है। यह परियोजना चार वर्षों की होगी, 200 रेल इंजनों का उत्पादन किया जाएगा। इससे बरेका कर्मशाला की गुणवत्ता में प्रगति होगी। वर्तमान परियोजना एवं भविष्य की योजनाएं हैं। मिशन रफ्तार के अंतर्गत, भारतीय रेल ने पुश एवं पुल मोड में संचालन के द्वारा ट्रेनों की औसत गति में वृद्धि किया है। रेल इंजनों के बीच रेक के साथ दो डबल्यूएपी7 रेलइंजन के मल्टीपल फार्मेशन द्वारा डबल्यूएपी7 यात्री लोको को पुश पुल मोड में किया गया। प्रथम जोड़ी का सफलता पूर्वक परीक्षण किया गया और इसे फरवरी 2020 में यात्री सेवा के लिए बरेका से भेजा गया। बरेका मार्च 2020 से निर्मित सभी नवनिर्मित रेलइंजनों में पुश-पुल फीचर जोड़ रहा है।
नए वर्ष पर शनिवार को आयोजित प्रेसवार्ता में महाप्रबंधक ने कहा कि ट्रेन टेलीमेट्री का अंत हो जाएगा। भारतीय रेल की एक महत्वपूर्ण परियोजना है। इसके अंतर्गत मालवाहक ट्रेनों में गार्ड एवं ब्रेकवान को हटाने का विकल्प तलाशा जाना है। बहुत ही कम लागत का रेडियो टेलीमेट्री उपकरण उपयोग किया जाना है, जिससे रेल इंजन ड्राइवर एवं अंतिम वैगन के बीच संचार स्थापित हो जाएगा और यह सुनिश्चित होगा कि ट्रेन सम्पूर्ण इकाई कोच व वैगन के साथ चल रही है। बरेका इस परियोजना के सुचारु कार्यान्वयन एवं समुचित समन्वय के लिए गठित कार्य दल (टास्क फोर्स) का संयोजक है।
डबल्यूएजी 9 एचपी रेलइंजन में वाटर क्लोजेट पर कार्य कर रहा है। चालक दल की सुविधा के लिए बरेका ने वित्त वर्ष 2021-22 में सभी डबल्यूएजी9एच विद्युत मालवाहक रेल इंजन में वाटर क्लोजेट लगाने की योजना बनाई है। इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बनारस रेलइंजन कारखाना शिलान्यास 23 अप्रैल 1956 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्व. डॉ राजेन्द्र प्रसाद द्वारा किया गया। प्रथम ब्राडगेज रेलइंजन डबल्यूडीएम-2 का शुभारंभ 03 जनवरी 1964 को एच.सी. दासप्पा, रेलमंत्री की उपस्थिति में लाल बहादुर शास्त्री ने किया। बनारस रेलइंजन कारखाना न सिर्फ भारतीय रेल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रेलइंजन का निर्माण कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि घरेलू एवं विदेशी गैर रेलवे ग्राहकों के लिए भी रेलइंजन का निर्माण कर रहा है। बनारस रेलइंजन कारख़ाना ने पहला निर्यात रेलइंजन तंजानिया के लिए मार्च 1976 में बनाया और इसके बाद से विभिन्न गैर रेलवे ग्राहकों को 622 रेलइंजनों की आपूर्ति की गई। इसमें तंजानिया, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, सेनेगल, सूडान, अंगोला, माली, मोज़ाम्बिक एवं मलेशिया जैसे देशों को निर्यात किए गए 165 रेलइंजन शामिल हैं।
गिनायीं उपलब्धियां : बताया कि बनारस रेलइंजन कारख़ाना इंटरनेशनल रेलवे इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (आईआरआईएस) से प्रमाणित है और इस प्रमाणन को प्राप्त करने वाला भारतीय रेल का प्रथम रेलइंजन उत्पादन इकाई बन गया है। बरेका को इसके अलावा विभिन्न प्रतिष्ठित गुणवत्ता प्रमाणपत्र भी प्राप्त हुए हैं- आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015, ओहसास 18001:2007, आईएसओ 50001: 2011, 5-एस, एन ए बी एल आईएसओ 17025:2017 एवं ग्रीनको प्रमाण पत्र मिले हैं।
दिसंबर 2020 के अंत तक बरेका ने 200 विद्युत रेलइंजन का निर्माण किया। यह उत्पादन रिकार्ड कोविड-19 के सभी प्रोटोकाल को पूरा करते हुए इस बात के बावजूद हासिल किया गया कि अप्रैल 2020 में उत्पादन शून्य था और मई में मात्र 08 रेल इंजनों का उत्पादन किया गया था। इस उपलब्धि का महत्व इसलिए और ज्यादा है क्योंकि विगत वर्ष 2019 तक 195 रेलइंजन बनाए गए थे। इस प्रकार भारतीय रेल नेटवर्क के विद्युतीकरण के विस्तार के साथ विद्युत रेलइंजनों की आपूर्ति बढ़ रही है। रेलवे बोर्ड ने नवंबर-2020 में निर्मित 39वें रेलइंजन ‘दीपशक्ति’ के लोकार्पण के अवसर पर 1 दिसंबर 2020 को की। फ्लैग ऑफ राजेश तिवारी, सदस्य (ट्रेक्शन एवं रोलिंग स्टॉक) की गरिमामयी उपस्थिति में विडियो लिंक के माध्यम से किया गया। ‘दीपशक्ति’ के साथ 40 वें विद्युत रेलइंजन ‘आकाशदीप’ का भी लोकार्पण किया गया।
बरेका ने डीजल रेलइंजन से विद्युत रेलइंजन निर्माण के लिए पूरी तरह अपनी संरचना का विकास कर लिया है। कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने चुनौती का सामना करते हुए नया कौशल अर्जित किया और शॉप फ्लोर, मशीन, जिग एवं फ़िक्सचर तथा विद्युत रेलइंजनों के उत्पादन के लिए योजना प्रक्रिया को पुनर्गठित किया। बरेका में डीजल से विद्युत रेलइंजन उत्पादन लाइन में परिवर्तन रेल मंत्रालय के बहुद्देशीय नीति के अनुरूप किया गया है, जिसमें ईंधन व्यय कम करना, कार्बन फुट प्रिंट कम करना, ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करना और ट्रेनों की हालिंग क्षमता एवं औसत गति में वृद्धि करना शामिल है।
बरेका ने मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (एचआरएमएस) का शत-प्रतिशत कार्यान्वयन किया है। इससे सेवा रेकॉर्ड, छुट्टी खाता देखना तथा पीएफ़ निकासी जैसे कार्य काफी आसान हो गए हैं और कर्मचारी कल्याण के क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
बरेका की विद्युत रेल इंजन उत्पादन लाइन में 98 फीसद स्वदेशी सामग्री है। इससे व्यापक तौर पर एमएसएमई क्षेत्र एवं घरेलू निर्माण को मदद मिली है। बरेका की वार्षिक खरीद 2020-21 में 3000 करोड़ रुपये है। एमएसएमई क्षेत्र से पर्याप्त मात्रा में सामग्री खरीदी गई। 2019-20 में एमएसएमई क्षेत्र से लगभग 1400 करोड़ रुपये की खरीद की गई। बरेका ने लगभग 4000 करोड़ रुपये के वार्षिक टर्नओवर से निर्माण क्षेत्र की जीडीपी में योगदान दिया। अब बरेका अपने बहुद्देशीय संरचना का प्रयोग मल्टीगेज एवं मल्टी ट्रेक्शन रोलिंग स्टॉक के उत्पादन के लिए करने को तैयार है। इससे भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत की नीति का संकल्प पूरा होगा। बरेका इस समय मोज़ाम्बिक को 51.6 करोड़ रुपये मूल्य के 6 केप गेज 3000 अश्व शक्ति रेलइंजन के निर्यात पर कार्य कर रहा है। इसे नवंबर 2020 में फास्ट ट्रैक पर रखा गया। बरेका में इस आदेश के अंतर्गत पहली बार 12 सिलिन्डर क्रेंक केस का निर्माण किया जा रहा है। गैर रेलवे ग्राहकों के लिए 37.72 करोड़ रुपये मूल्य के 04 रेलइंजन का आदेश बरेका के पास है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान गैर रेलवे ग्राहकों को 4.66 रुपये करोड़ के अतिरिक्त पुर्जों की आपूर्ति की गई। गैर रेलवे ग्राहकों को 5.05 करोड़ रुपये के पुर्जों का आदेश मिला है और जल्द ही इसकी आपूर्ति की जाएगी। विगत दो वित्तीय वर्षों में, बरेका ने श्रीलंका को 3000 अश्व-शक्ति के कुल 10 इंजनों का निर्यात किया (2018-19 में 3 एवं 2019-20 में 7) ।
विश्व में पहली बार हाई हॉर्स पावर डीजल लोकोमोटिव को विद्युत लोकोमोटिव में सफलतापूर्वक परिवर्तित करने का श्रेय बरेका को प्राप्त है। माननीय प्रधान मंत्री द्वारा बरेका से 10000 अश्व-शक्ति के कनवर्ज़न लोकोमोटिव डब्लूएजीसी3 की ऐसी पहली ट्विन यूनिट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया और 6000 टन के मालवाहक ट्रेनों का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। तब से बरेका ने आठ डीजल लोकोमोटिव को विद्युत लोकोमोटिव में परिवर्तित किया है।
बरेका में अत्याधुनिक वेल्डिंग अनुसंधान संस्थान है, जो वेल्डरों को प्रमाणित करने में सक्षम है। बरेका बड़े फैब्रिकेटेड सामानों के विक्रेताओं के साथ जुड़ेगा, जिसमें आईएसओ 9606 मानक में वेल्डर प्रशिक्षित होंगे। इससे कौशल निर्माण में मदद मिलेगी और निजी क्षेत्र विशेषकर एमएसएमई की प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा जो ब्रांड इंडिया की छवि को बढ़ाएगा। बरेका ई-लर्निंग के लिए कौशल अपग्रेडेशन मॉड्यूल पर भी काम कर रहा है। प्राविधिक प्रशिक्षण केंद्र को 'कौशल विकास उत्कृष्टता केंद्र' के रूप में विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित 'कौशल विकास' कार्यक्रम 'कौशल विकास पहल' के तहत, कुल 521 स्थानीय युवाओं को विभिन्न ट्रेडों में नि:शुल्क प्रशिक्षित किया गया है और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए हैं। पर्यावरण के लक्ष्यों के साथ तालमेल रखते हुए, बरेका ने अपनी सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 17.96 फीसद बढ़ाया है और 2019 की इसी अवधि के संदर्भ में नवंबर 2020 तक कुल ग्रिड ऊर्जा की खपत को 26.27 फीसद तक कम किया है।