89 महिला- पुरुष ने कोचिंग को किया आवेदन, अनिश्चित भविष्य को लेकर युवाओं ने नहीं ली रूचि
प्रदेश के खेल विभाग के रीढ़ की हड्डी होती है अंशकालिक मानदेय प्रशिक्षक लेकिन अब यह हड्डी कमजोर पड़ रही है। ये वह प्रशिक्षक होते हैं जो पत्थर को तराश कर दुनिया के सामने लाते हैं।
वाराणसी, जेएनएन। प्रदेश के खेल विभाग के रीढ़ की हड्डी होती है अंशकालिक मानदेय प्रशिक्षक लेकिन अब यह हड्डी कमजोर पड़ रही है। ये वह प्रशिक्षक होते हैं जो पत्थर को तराश कर दुनिया के सामने लाते हैं।
अंशकालिक मानदेय प्रशिक्षक प्रति वर्ष 10 माह के लिए रखे जाते हैं। इनको योग्यतानुसार 20 से 30 हजार रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। किसी न किसी कारण से इनका दाना-पानी सात से आठ माह तक ही चलता है।
इसी वर्ष अप्रैल से शुरू होने वाला शिविर अब तक शुरू नहीं हुआ है। अभी आवेदन मांगे गए है। उम्मीद है जुलाई से शिविर शुरू हो जाएगें। इस शिविर के प्रशिक्षकों के लिए वाराणसी मंडल के 89 पुरुष- महिलाओं ने आवेदन किया है। मंडल में 30 से 35 अंशकालिक मानदेय प्रशिक्षक मिलते हैं।
क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी चंद्रमौलि पांडेय ने बताया कि अब अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता के प्रमाण पत्र काम नहीं करेंगे। राष्ट्रीय प्रतियोगिता से कम पर नहीं होगा विचार। इस कारण आवेदन कम आए है। हमारा प्रयास है कि हमें कुशल प्रशिक्षक मिले जो प्रतिभाओं को निखार सके। खिलाड़ी अगर उच्च स्तर का हो तो उसे 65 वर्ष तक की आयु तक प्रशिक्षक नियुक्त किया जाता है।
वहीं खिलाडिय़ों का कहना है सात से आठ महीने तक काम करने से अच्छा है कि किसी संस्था में लग जाए, वहां 12 महीने का वेतन तो मिलेगा और हर साल चयन परीक्षण में हिस्सा भी नहीं लेना होगा। खेल विभाग हर वर्ष खिलाडिय़ों का चयन परीक्षण लेता है। सबसे बड़ी समस्या तब आती है जब चयनकत्र्ता अपने गुरू का चयन परीक्षण लेता है। कोचों को ग्रेडिग़ मिलनी चाहिए और ग्रेड के अनुसार ही उनका चयन परीक्षण हो। एक अंतररराष्ट्रीय खिलाड़ी का चयन परीक्षण एनआइएस डिप्लोमाधारी करता है। जो कोच 20 से 25 वर्ष तक विभाग की सेवा कर रहे हैं उनका 58 या 59 वर्ष की आयु में चयन परीक्षण लेना क्या दर्शाता है।
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