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सोनभद्र नरसंहार से सबक ले भदोही में सुलझा 45 साल पुराना जमीन विवाद

सोनभद्र में भूमि विवाद ने नरसंहार करा दिया। गड़ासे निकल गए और गोलियां चली। 10 जानें ले ली। घटना ने प्रदेश की राजनीति में सुनामी ला दिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 08:36 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 08:34 AM (IST)
सोनभद्र नरसंहार से सबक ले भदोही में सुलझा 45 साल पुराना जमीन विवाद
सोनभद्र नरसंहार से सबक ले भदोही में सुलझा 45 साल पुराना जमीन विवाद

भदोही, अरविंद सिंह। सोनभद्र में भूमि विवाद ने नरसंहार करा दिया। गड़ासे निकल गए और गोलियां चली। 10 जानें ले ली। घटना ने प्रदेश की राजनीति में सुनामी ला दिया। स्वयं मुख्यमंत्री को एक्शन लेना पड़ा। वाकये से सबक लेते हुए विकास खंड डीघ के महुआरी गांव में बैठक बुलाई गई। 45 साल पुराने भूमि विवाद को मीठी बोली और सुलह-समझौते से विवाद सुलझा लिया। खुशी मन से दोनों पक्ष मान गए। रविवार को देर शाम सड़क निर्माण भी शुरू हो गया। विवाद को सुलझाने में प्रधान प्रतिनिधि शशिचंद मिश्र ने मध्यस्थता की। तय हुआ कि सालों से उपेक्षित पंचवटी को भी नवजीवन दिया जाएगा।

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यह था पूरा मामला : गांव में रमणीय स्थल पंचवटी है। यहां पीपल, बरगद, पाकड़ सहित पांच तरह के विशालकाय पेड़ लोगों को शीतलता प्रदान करते हैं। भूमि को लेकर साठ के दशक में विवाद शुरू हुआ तो कई अदालतों में चलता रहा। इसके चलते मुख्य सड़क और पंचवटी का काम फंस गया। प्रधान प्रतिनिधि शशिचंद मिश्र ने यहां पर चबूतरे का निर्माण कराने का निर्णय लिया है। वर्षों से चल रहे विवाद का पटाक्षेप होने से ग्रामीण उत्साहित हैं। गांव के कृष्णचंद मिश्र ने बताया कि जमीन का यह मसला इतना पुराना हो चला था कि अब उम्मीद नहीं दिख रही थी। सोनभद्र की घटना ने गांव वालों को नए सिरे से सोचने के लिए विवश किया और बात बन गई। प्रेमचंद्र मिश्र कहते हैं कि जमीन के विवाद में आपसी बातचीत से जो रास्ता निकल सकता है वह किसी और विकल्प से संभव नहीं है। उसी गांव के ही राजेश मिश्र ने कहा कि सोनभद्र भूमि विवाद के परिणामों ने हमें नए सिरे से इस मामले को बातचीत से सुलझाने का रास्ता दिखाया।

प्रधान प्रतिनिधि शशिचंद मिश्र ने कहा कि किसी भी मामले को लेकर जब निष्पक्ष रूप से काम करेंगे तो समाज के हर लोगों का विश्वास बढ़ जाता है। गांव के लोगों को भी इस बात का विश्वास दिलाना चाहिए। किसी भी विवाद का निपटरा मध्यस्थता से ही किया जा सकता है। मुकदमा में श्रम, धन और मानसिक तनाव को छोड़कर कुछ भी नहीं मिलता है।


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