बलिया के 310 गांवों में मानक से ज्यादा आर्सेनिक की पुष्टि, बढी लोगों के सेहत की चिंता
बीएचयू के शोध छात्र अभिषेक कुमार ने बलिया जनपद के आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों क ा इंडिया मार्का हैंडपंप, कुआं की जांच में मानक से अधिक आर्सेनिक की पुष्टि की है।
बलिया, जेएनएन। बीएचयू के शोध छात्र अभिषेक कुमार ने बलिया जनपद के आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों का इंडिया मार्का हैंडपंप, कुआं की जांच में मानक से अधिक आर्सेनिक पाए जाने की पुष्टि की है। उन्होंने बैरिया तहसील के शिवपुर कपूर दियर निवासी आर्सेनिक रोग से पीड़ित रामलायक यादव, गंगापुर के रमेश यादव सहित मिश्र के मठिया के पास यादव टोला, सोनबरसा अस्पताल के पास की बस्ती, बैरिया सहित जिले के कुल 310 आर्सेनिक प्रभावित गांव का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार की।
जनपद के बेरुआरबारी व गड़वार ब्लाकों को छोड़कर शेष सभी ब्लाकों में मानक के अधिक आर्सेनिक इंडिया मार्का हैंडपंपों में पाया गया है। उन्होंने कहा कि रसड़ा ब्लाक के राघोपुर, गंगापुर के तिवारी टोला, राजपुर एकौना, मझौवां आदि गांवों में मानक से अधिक आर्सेनिक पाया गया। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मानक के अनुसार पेयजल के जल स्त्रोत में 10 पीपी विलियन आर्सेनिक होना चाहिए ¨कतु जनपद के 310 ग्रामों में 50 पीपी विलियन पाया गया है। जो मानव तो मानव पशु व फसलों के लिए भी हानिकारक है। वहीं छोटे हैंडपंपों में जिनकी गहराई 50 से 60 फीट है, उनमें आर्सेनिक की मात्रा कम पाई गई। वहीं इंडिया मार्का (365) सर्वेक्षण में 50 हैंडपंप मौके पर नहीं पाए गए।
इंडिया मार्का हैंडपंपों पर लगाए गए आर्सेनिक फिल्टर, बैकवाश की व्यवस्था नहीं होने से 99.05 बंद पड़े हैं। सोलर पैकेज से वाटर सप्लाई के लिए लगाए गए संसाधन कम्यूनिटी नहीं होने कारण वे शोपीस बने हुए हैं। कुओं में आर्सेनिक की मात्रा मानक के अनुरूप पाया गया। अभिषेक कुमार ने बताया कि प्रो. जान वाई वाल्स यूनिवर्सिटी आफ वा¨शगटन के माध्यम से आर्सेनिक पर विश्व स्तर से शोध कार्य चल रहे हैं ताकि लोगों की आर्सेनिक से मुक्ति मिल सके।