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    विंध्यक्षेत्र में बढ़ा काले हिरण का दुर्लभ का कुनबा, हलिया वनरेंज अभ्यारण में 300 काले हिरण

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Mon, 15 Mar 2021 04:13 PM (IST)

    हलिया वनरेंज अभ्यारण्य में दुर्लभ प्रजाति के काले हिरण का कुनबा बढ़कर 300 पहुंच गया है। जबकि इसी परिवार से मिलते-जुलते चीतलों की संख्या 75 है। आठ वर्ष बाद हुए वन्य जीवों की गणना में तेंदुआ की संख्या 12 पाई गई है।

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    मीरजापुर, जेएनएन। हलिया वनरेंज अभ्यारण्य में दुर्लभ प्रजाति के काले हिरण का कुनबा बढ़कर 300 पहुंच गया है।

    मीरजापुर, जेएनएन। हलिया वनरेंज अभ्यारण्य में दुर्लभ प्रजाति के काले हिरण का कुनबा बढ़कर 300 पहुंच गया है। जबकि इसी परिवार से मिलते-जुलते चीतलों की संख्या 75 है। आठ वर्ष बाद हुए वन्य जीवों की गणना में तेंदुआ की संख्या 12 पाई गई है। इसमें सात नर व पांच मादा हैं। वन विभाग की मानें तो तेंदुओं सहित अन्य जानवरों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। इन में से कुछ मादाएं शावक को जन्म देने वाली हैं।

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    वन रेंज अभ्यारण्य में वन्य जीवों के अलावा जंगली पशु और पक्षियों की भी कई दुर्लभ प्रजातियां पाई गई हैं। इनके संरक्षण कार्ययोजना तैयार की जा रही है। कैमूर वन्य जीव विहार में वन्य जीवों की कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं। तेंदुआ, हाइना, लकड़बग्घा, सियार, भालू, चीता, जंगली सुअर, करातल, बिज्जू, चीतल, चिकारा, सांभर, लंगूर, चौङ्क्षसहा सहित कई प्रकार के वन्य जीव मौजूद हैं। इसके अलावा मगरमच्छ और करैत व कोबरा जैसे सर्प की प्रजातियां पाई जाती हैं। बीते दो वर्ष पूर्व हलिया वनरेंज के हलिया द्वितीय, सगरा, कुशियरा, हर्रा, उमरिया, परसिया चौरा, पडऱी बीट में गिनती कराई गई, जिसमें दुर्लभ प्रजाति के काले हिरणों की संख्या 274 पाई गई।

    प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष जायसवाल ने बताया कि काले हिरण की जो प्रजाति अभ्यारण्य में मौजूद है, ऐसा दूसरी जगह नहीं मिलेगा। इनके परिवार आपस में घुल मिलकर रहते हैं। साथ ही चीतलों के भी आधा दर्जन झुंड हैं जिनकी संख्या 74 तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि वन्य जीवों की गणना के बाद हमारा अगला कदम इनके संरक्षण और आबादी बढ़ाने पर है। इसमें मौसम के साथ दलदली जमीन व घने जंगल का भी बड़ा योगदान होता है। हलिया वनरेंज अभ्यारण्य की बात करें तो यहां कई जगहों पर जंगल में दलदली जमीन है, जहां कई तरह की जड़ी बूटियां भी पाई जाती हैं। मुख्य रूप से शीशम, टीक, साल, जामुन, महुआ के अलावा सिद्धा, कोरैया और झींगर जैसी वनस्पतियां पाई जाती हैं। इनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है। घने जंगल में बांस, पलाश और खैर की बहुतायत संख्या है। चिडिय़ों की अनगिनत प्रजातियां वनरेंज क्षेत्र में तीतर और बटेर के अलावा बुलबुल, गौरैया, कबूतर, बाज, किगफिशन पक्षी, फ्रैंकलिन, बत्तख और तितलियों की सैकड़ों प्रजातियों की भरमार है, लेकिन पूरे कैमूर वन्य अभ्यारण्य में चार स्थानों कुशियरा, परसिया, चौरा,हलिया में वाटर होल बनाए गए हैं। इससे जानवरों को पानी के लिए भटकना न पड़े। इतना ही नहीं, जानवरों के देखभाल के लिए दो वाच टावर का निर्माण कार्य भी कराया जा रहा है।

    दो वर्ष पूर्व हुए गणना के अनुसार वन्य जीवों की संख्या

    तेंदुआ- 12

    काला हिरण- 274

    वनरोज- 332

    सांभर- 18

    चीतल- 75

    भालू- 15

    जंगली सुकर- 113

    बंदर- 159

    लोमड़ी- 45

    लकड़बग्घा- 12

    मगरमच्छ- 55

    लंगूर- 104

    लोमड़ी- 45

    सियार- 67

    मोर- 59

    गिद्ध- 60

    जंगली बिल्ली- 2

    चिकारा- 9

    खरगोश- 17

    जंगल में जानवरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है

    जंगल में जानवरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। गर्मी के दिनों में जानवरों को पानी के लिए चार वाटर होल बनाए गए हैं तथा देखभाल के लिए दो वाच टावर बनाए जा रहे हैं।

    - प्रेमप्रकाश चौबे, वनक्षेत्राधिकारी।