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अज्ञात मृतकों की आत्मा की शांति के लिए वाराणसी में हुआ यज्ञ और क्रिया-कर्म, 21 कर्मकांडी ब्राह्मणों ने किया आयोजन

वैश्विक महामारी की दूसरी लहर ने जमकर तमाही मचाई। कोरोना की इस महामारी में लाखों लोगों ने अपने प्राण गवां दिए। इसमें ऐसे लोग भी थे जिनके आगे पीछे कोई भी इनकी आखरी समय कंधा नहीं दे पाया। ना ही उनका क्रिया- कर्म ठीक-ठाक से हो पाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 07:50 PM (IST)Updated: Tue, 25 May 2021 07:50 PM (IST)
अज्ञात मृतकों की आत्मा की शांति के लिए वाराणसी में हुआ यज्ञ और क्रिया-कर्म, 21 कर्मकांडी ब्राह्मणों  ने किया आयोजन
समाजसेवी संस्था ओम काशी अन्नपूर्णा सेवा ट्रस्ट की ओर से लोगों का क्रिया कर्म व यज्ञ किया गया।

वाराणसी, जेएनएन। वैश्विक महामारी की दूसरी लहर ने जमकर तमाही मचाई। कोरोना की इस महामारी में लाखों लोगों ने अपने प्राण गवां दिए। इसमें ऐसे लोग भी थे जिनके आगे पीछे कोई भी इनकी आखरी समय कंधा नहीं दे पाया। ना ही उनका क्रिया- कर्म ठीक-ठाक से हो पाया। लोग चाह कर भी अपनों की अन्त्येष्टि नहीं करा पाए। बहुत से लोगों को लावारिस गंगा में बहा दिया गया। ऐसे लोगों की आत्मा की शांति के लिए काशी में मंगलवार को लक्सा स्थित मारवाड़ी युवक संघ भवन में समाजसेवी संस्था ओम काशी अन्नपूर्णा सेवा ट्रस्ट की ओर से 21 कर्मकांडी ब्राह्मणों द्वारा लोगों का क्रिया कर्म व यज्ञ किया गया।

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यह सारा कार्यक्रम रानी गुरु महाराज ने कराया। कर्मकांडी रानी गुरु व सुरेश पाठक ने 21 कर्मकांडी ब्राह्मणों द्वारा मंत्रों उच्चारण के साथ विष्णु पूजन से आरंभ किया। महामारी में समस्त मृतक आत्मा, समस्त गोत्र, समस्त वरण, श्राद्धकर्म कराया गया। पीतल के तीन घड़ा में गंगा जल भर कर रखा गया, जिसे विष्णु ब्रह्म रुद्र के रूप मैं पूजन किया गया। तीन देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वेद पाठ हुआ। उन्हीं लोगों के नाम से मंत्र से हवन किया गया। इसके बाद तीन पिंड जौ, चावल, और काला तिल से बनाया गया, जिसे ब्रह्मा, विष्णु व रुद्र का रूप दिया गया। सात्विक रूपी विष्णु, राजत रूपी ब्रह्मा, तामसी रूपी रुद्र को पूजा गया। सफेद माला चढ़ाकर काला तिल चढ़ाया गया। सोने की तार से एक दूसरे की आत्मा को मिलाया गया। अंत में यज्ञ में आहुति संस्था के अध्यक्ष विजय मोदी, भरत सराफ, राजेंद्र गोयनका, अरविंद जैन, राम बूबना, अशोक अग्रवाल, सुरेश तुलस्यान, अनुप बुबना आदि ने दी। सभी आत्माओं की शांति के लिए विष्णु, ब्रह्मा, रुद्र से प्रार्थना की गई। अंत में सभी ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ ही दान भी दिया गया।


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