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भीषण गर्मी को रहें तैयार, अल नीनों का बढ़ा दायरा

जागरण संवाददाता उन्नाव इस बार भीषण गर्मी के साथ कम बारिश हो सकती है। फरवरी और मार्च में अल नीनो का प्रभाव कम हो जाता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। ऐसे में अप्रैल से ही भीषण गर्मी पड़ने लगी है। दक्षिण पश्चिम मानसून को भी यह प्रभाव प्रभावित करेगा। जिससे बारिश कम होने की संभावना है। यदि अप्रैल में पारा 44 पार जाता है तो मई-जून काटे नहीं कट पाएगी। अन नीनो की बढ़ी सक्रियता से मौसम विभाग भी चितित है। हालांकि अभी कोई भविष्यवाणी नहीं की गयी है लेकिन मानसून पर अनुमान लगाने वाले आंकड़ों की पड़ताल होने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 05:26 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 06:17 AM (IST)
भीषण गर्मी को रहें तैयार, अल नीनों का बढ़ा दायरा
भीषण गर्मी को रहें तैयार, अल नीनों का बढ़ा दायरा

जागरण संवाददाता, उन्नाव : इस बार भीषण गर्मी के साथ कम बारिश हो सकती है। फरवरी और मार्च में अल नीनो का प्रभाव कम हो जाता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। ऐसे में अप्रैल से ही भीषण गर्मी पड़ने लगी है। दक्षिण पश्चिम मानसून को भी यह प्रभाव प्रभावित करेगा। जिससे बारिश कम होने की संभावना है। यदि अप्रैल में पारा 44 पार जाता है तो मई-जून काटे नहीं कट पाएगी।

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अप्रैल में सूर्यदेव के तेवर तल्ख हैं कि सुबह 10 बजे से ही भीषण गर्मी होने लगी है। पिछले दो साल में इस बार का अप्रैल सबसे गर्म होने वाला है। सुबह 10 बजे पारा 34 डिग्री के पास होता है जो सामान्य से 8 डिग्री अधिक होता है। असल में अल नीनो इस बार सक्रिय होने वाला है। यदि यह सक्रिय हो गया तो मई और जून में गर्मी के सारे रिकार्ड टूटेंगे। वहीं बारिश के लिए किसानों को आसमान ताकना पड़ेगा। मौसम विभाग और स्काईमेट दक्षिण पश्चिम में महासागर में हो रही वाष्पीकरण पर नजर रखे हुए है। इस बार फरवरी और मार्च में तापमान 1.6 से 2 डिग्री तक अधिक था जो अल नीनो के प्रभाव का कारक बन गया था। क्या है अल नीनो

वह मौसमी कारक है जो मानसून पर असर डालता है। प्रशांत महासागर में घटना वाली हलचल मानसून का भविष्य तय करती है। दुनिया में सबसे बड़ा महासागर प्रशांत है तो ऐसे में मानसून का यह सबसे बड़ा कारक भी है। प्रशांत महासागर के पूर्व तथा पश्चिमी भाग के जल सतह पर तापमान का अंतर होने से हवाएं पूर्व से पश्चिन की ओर विरल वायु दाब की ओर बढ़ती हैं। लगातार बहने वाली इन हवाओं को व्यापारिक पवन कहा जाता है। प्रशांत महासागर से लेकर हिद महासागर के भारतीय आस्ट्रेलियाई क्षेत्र के वायुदाब में होने वाला परिवर्तन दक्षिण कंपन को जन्म देता है और दक्षिण कंपन ऋणात्मक होने पर अल नीनो की स्थिति बनती है। इस बार कुछ ऐसा ही हो रहा है। तापमान पर अल नीनो का प्रभाव

माह--- अल नीनो प्रभाव (डिग्री)

4 फरवरी---- 0.8

11 फरवरी--- 0.8

19 फरवरी--- 0.9

25 फरवरी--- 1.0

4 मार्च ----- 1.1

11 मार्च----- 0.9

18 मार्च ---- 0.8

1 अप्रैल----- 0.9

8 अप्रैल----- 0.8 शनिवार को जमकर चले लू के थपेड़े

शनिवार को गर्मी ने लोगों को बेहाल कर दिया। दोपहर 12 बजे से सड़क पर सन्नाटा छा गया। लोग हिम्मत न कर सके कि सड़क पर वह चल सके। गर्म हवा के थपेड़ों ने बदन के झुलसा सा दिया। शनिवार को यूवी इंडेक्स बहुत अधिक रहा। अधिकतम तापमान 41 डिग्री तथा न्यूनतम तापमान 26 डिग्री रिकार्ड किया गया जो सामान्य से बहुत अधिक रहा। इस बार भीषण गर्मी पड़ेगी। अल नीनो का प्रभाव बना है लेकिन अभी पूरी तरह से स्थिति साफ नहीं है। एक सप्ताह बाद मौसम पर भविष्यवाणी की जा सकेगी। दक्षिण-पश्चिम मानसून पिछले साल की तुलना में इस बार अल नीनो के प्रभाव में आ सकता है। फरवरी व मार्च में जो तापमान रिकार्ड किया गया था वह अधिक था।

- जेपी गुप्ता, निदेशक मौसम विभाग लखनऊ


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