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प्रदेश में पॉलीहाउस का बड़ा केंद्र बनेगा उन्नाव

प्रदेश में लखनऊ सहारनपुर वाराणसी के बाद जिले में सबसे अधिक पॉलीहाउस बने हैं। यहां पर बने पॉलीहाउस के फूल व सब्जी विदेश जाती है। नवाबगंज में सबसे अधिक 10 पॉलीहाउस हैं अब प्रशासन ने हर ब्लाक में 4

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 11:32 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 06:25 AM (IST)
प्रदेश में पॉलीहाउस का बड़ा केंद्र बनेगा उन्नाव
प्रदेश में पॉलीहाउस का बड़ा केंद्र बनेगा उन्नाव

जागरण संवाददाता, उन्नाव : प्रदेश में लखनऊ, सहारनपुर, वाराणसी के बाद जिले में सबसे ज्यादा पॉलीहाउस हैं। यहां के पॉलीहाउस के फूल व सब्जी विदेश तक जाती है। नवाबगंज में सबसे अधिक 10 पॉलीहाउस हैं, अब प्रशासन ने हर ब्लॉक में 4 पॉलीहाउस बनाने का निर्णय लिया है। इसके जरिए सब्जी मसाला, शिमला मिर्च और फूलों की खेती कराई जाएगी। इसके अलावा दक्षिण के राज्यों से मुकाबले के लिए प्रशासन ने यहां के किसानों को मसालों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने की योजना तैयार की है। वहीं पॉलीहाउस को बढ़ावा के लिए कम रकबे में बनाने व अनुदान दिलाने की योजना है।

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मौसम की मार से किसान परेशान रहते हैं, ऐसे में पॉलीहाउस खेती सबसे मुफीद मानी जाती है। इसमें मसाला, धनिया, फूल, शिमला मिर्च, गोभी, बंधा, बैगन, भिडी आदि की खेती कम पानी में और मौसम की झंझट के बिना की जाती है। पॉलीहाउस में 40 दिन के भीतर एक खेती उत्पादन के लिए तैयार हो जाती है जिससे किसानों को कम समय में सब्जी और फूल का उत्पादन मिलता है। पॉलीहाउस से किसान समृद्धिशाली हो, इसे लेकर प्रशासन ने योजना तैयार की है। जिले में 16 ब्लाक हैं और हर ब्लाक में 4 पॉलीहाउस बनाए जाएंगे। इसमें किसान की जमीन के रकबे के हिसाब से पूरा ढांचा तैयार होगा। जिले में 500 वर्गमीटर से लेकर 4 हजार वर्गमीटर तक के पॉलीहाउस बनाने की योजना है। इसमें 50 फीसद अनुदान उद्यान विभाग द्वारा दिलाया जाएगा।

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क्या होता है पॉलीहाउस

- पॉलीहाउस पॉलीइथाइलीन जैसे पारभासी सामग्री से बना एक ढांचा होता है जहां पौधे विकसित होते हैं और नियंत्रित जलवायु परिस्थितियों में विकसित होते हैं। संरचना का आकार जरूरत के अनुसार छोटे आकार के बड़े आकार से भिन्न होता है। ये ऐसा तंत्र है जिसके अंदरूनी हिस्से धूप के संपर्क में आते ही गर्म हो जाते हैं लेकिन धूप हटते ही ठंडे हो जाते हैं वहीं सर्दियों में ग्रीनहाउस बंद कर दिया जाता है इसलिए जब बाहर ठंड होती है, तो अंदर का तापमान पौधों के लिए अनुकूल और गर्म रहता है। इसमें सिचाई के लिए स्प्रिंकलर सिस्टम लगा होता है।

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पॉलीहाउस में उगाए जाने वाले फल व सब्जी

फल- पपीता, स्ट्राबेरी आदि।

सब्जी- पत्तागोभी, करेला, शिमला मिर्च, मूली, फूलगोभी, मिर्च, धनिया, प्याज, पालक, टमाटर ब्रोकली आदि।

फूल- कार्नेशन, जरबेरा, मेरीगोल्ड, ऑर्किड और रो•ा आदि।

इन्हें नियंत्रित तापमान पर उगाया जाता है और इस प्रकार फसल के नुकसान की आशंका कम होती है।

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पॉलीहाउसिग की खासियत

पॉलीहाउसिग से पूरे वर्ष फसलें उगाई जाती हैं और किसी विशेष मौसम के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता है।

- पॉलीहाउस में कीट और कीड़े कम होते हैं।

- बाहरी जलवायु का फसलों की वृद्धि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

- उत्पादन की गुणवत्ता पॉलीहाउस में अधिक है।

- पॉली हाउस पौधों को किसी भी मौसम में सही पर्यावरण सुविधाएं देता है।

- यह उपज को करीब 5 से 10 गुना तक बढ़ा देता है।

- कम फसल अवधि करीब 40 दिन में फसल होती तैयार

- उर्वरक व ड्रिप सिचाई की मदद से यह स्वचालित रूप से नियंत्रित होता है।

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- जिले में अभी 20 पॉलीहाउस खुले हैं, अधिकतर नवाबगंज के महनौरा में हैं, यह तकनीक खेती के लिए वरदान साबित हो रही है, कम समय में किसानों को फल, सब्जी और मसाला की खेती का बेहतर उत्पादन मिलता है। खास यह है कि इसमें ड्रिप सिस्टम से सिचाई होती है जिससे पानी की भी बचत होती है।

- डॉ. सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी


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