बुखार से दो बच्चों की मौत, बारह भर्ती
एक तरफ संक्रामक रोगों पर प्रभावी नियंत्रण पाने के लिए संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर जिले में बुखार का शिकंजा कसता जा रहा है। शनिवार को जिला अस्पताल से रेफर दो बच्चों की मौत हो गई। 12 बुखार पीड़ितों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। जिला अस्पताल में बुखार और डायरिया के मरीजों की भरमार से बेडों की किल्लत के साथ ही मरीजों को वह सुविधाएं भी नहीं मिल पा रहीं हैं जो आवश्यक हैं। ओपीडी हो या इमरजेंसी हर जगह अफरा तफरी के बीच इलाज हो रहा है। मरीजों को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर तक नहीं मिलती है।
जागरण संवाददाता, उन्नाव : शनिवार को जिला अस्पताल से रेफर दो बच्चों की मौत हो गई। 12 बुखार पीड़ितों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। अस्पताल में बुखार और डायरिया के मरीजों की भरमार से बेडों की किल्लत के साथ उन्हें स्ट्रेचर और व्हीलचेयर तक नहीं मिलती है।
संचारी रोगों को लेकर मुख्यमंत्री चितित हैं। संक्रामक रोगों पर नियंत्रण पाने के लिए वह लगातार अभियान चलवा रहे हैं। उसके बाद भी नगर निकाय अपने दायित्वों को लेकर सजग नहीं हैं। नतीजतन संक्रामक रोग लगातार पांव पसारते जा रहे हैं। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में शुक्रवार रात 12 बजे से शनिवार को दिन में 2 बजे तक चौदह घंटे में बुखार के 12 और डायरिया के 17 मरीज भर्ती किए गए। बुखार के मरीजों में शहर के काशीराम कालोनी निवासी दानिश 3 पुत्र आरिफ को परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया। उसे तेज बुखार था और झटके भी आ रहे थे। हालत गंभीर देख डॉक्टर ने हैलट कानपुर रेफर कर दिया। कानपुर पहुंचते-पहुंचते उसकी मौत हो गई है।
इसी तरह अचलगंज क्षेत्र के निवासी घनश्याम की पुत्री विद्या 9 को कई दिनों से तेज बुखार आ रहा था। हालत बिगड़ने पर परिवार के लोग उसे जिला अस्पताल लाए। जहां से उसे भी कानपुर रेफर किया गया पर परिजन कानपुर न ले जाकर एक प्राइवेट अस्पताल ले गए जहां उसकी भी मौत हो गई। डॉक्टरों को दोनों को दिमागी बुखार होने की आशंका थी लेकिन कोई परीक्षण न हो पाने से इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। अन्य जो 12 मरीज जिला अस्पताल में भर्ती हैं उनमें विशुना देवी 48 अचलीखेड़ा, वीरपाल 75 जवाहर खेड़ा, रोशन जहां 65 आसत मोहद्दीनपुर, अंकुश 4 पुत्र राम दुलारे हृदयनगर बीघापुर, शिवांक 19 पुलिस लाइन, रेखा 35 ओरहर अचलगंज की हालत गंभीर है।
मरीजों को स्ट्रेचर तक मयस्सर नहीं : जिला अस्पताल में औसतन संक्रामक रोगों से पीड़ित तीन सौ मरीज प्रतिदिन आ रहे हैं। इनमें 30-35 भर्ती किए जा रहे हैं। मरीजों की भीड़ के चलते उन्हें आवश्यक सुविधाएं भी नहीं मिल पा रहीं हैं। यहां तक व्हील चेयर और स्ट्रेचर तक नहीं मिलती। तीमारदार ही मरीजों को इमरजेंसी से वार्ड तक ले जाते हैं।
पर्चा बनवाने से दवा लेने तक रहती अफरातफरी : मरीजों को पर्चा बनवाने से लेकर दवा लेने तक अफरातफरी का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही ब्लड आदि की जांच के लिए भी मरीजों को लंबी लाइन लगानी पड़ती है। इससे उन्हें अफरातफरी से जूझना पड़ता है।