काश जल्दी मिल जाता इलाज
जागरण संवाददाता, उन्नाव : जिले में पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवा और डाक्टरों की मुस्तैदी को आ
जागरण संवाददाता, उन्नाव : जिले में पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवा और डाक्टरों की मुस्तैदी को आईना दिखाने के लिए एक अभागे पिता के बेबस शब्द काफी है। जवान बेटे और भतीजे का शव देख होमगार्ड लाल बहादुर के मुंह से यही निकला कि काश डाक्टर ने पत्नी के इलाज में देरी न की होती। वक्त पर इलाज मिल जाता तो उसकी हालत न बिगड़ती और आराम जल्दी मिल जाता तो बेटा पहले घर के लिए निकलता। तब शायद मौत की ये घटना टल जाती।
होमगार्ड लालबहादुर अपनी पत्नी को लेकर रात 8 बजे नवाबगंज सीएचसी पहुंचे थे। उनके अनुसार सीएचसी में मौजूद डॉक्टर ने करीब डेढ़ घंटे तक कोई इलाज नहीं किया। काफी मिन्नत के बाद जब इलाज शुरू किया तब तक पत्नी की तबीयत और बिगड़ चुकी थी। बकौल लाल बहादुर यदि पत्नी को तत्काल इलाज मिल जाता तो शायद कुछ ही समय बाद वो सब घर लौट जाते और दुर्घटना शायद टल जाती। लाल बहादुर ने दो शादियां की थी। दूसरी पत्नी के बीमार होने पर उसने उसे सीएचसी में भर्ती कराया था। सौतेली मां को देखकर लौट रहे जय ¨सह उसके चचेरे भाई विश्वनाथ और छोटू की सड़क हादसे में मौत से तीन परिवार बिखर गए। (इनसेट)
छोटू की मौत से दोबारा हुई विधवा
छोटू के बड़े भाई की दो साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी। जिस पर उसने उसकी पत्नी रागिनी को सहारा देकर जीवन साथी बना लिया था। पहले पति के बाद छोटू की भी मौत से पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल रहा।
मासूमों को चिपकाकर रोती रहीं पत्नियां
उधर जय ¨सह की मौत पर उसकी पत्नी कोमल अपने चार माह के बच्चे को कलेजे से चिपकाए दहाड़े मारकर रो रही थी। विश्वनाथ की पत्नी सीमा भी दो मासूम बच्चों ¨रकी और सरोज के साथ पति की मौत पर बिलख रही थीं। गरीबी में जीवनयापन कर रहे परिवारों के लिए तीनों की मौत गहरा दर्द दे गई।