नियम ताक पर रख कब्जा कराने का मसला सीएम तक पहुंचा
माफियाओं पर मेहरबान राजस्व विभाग उनके इशारे पर नाच रहा है। उन्हें लाभ देने के लिए राजस्व संहिता के नियमों और कानून तक को ताक पर रख दिया जा रहा है। सदर तहसील के मझरा पीपरखेड़ा गैरएहतमाली में एक भू माफिया के इशारे पर बिना बटवारा और हद बरारी का वाद दायर किए ही एक खाता धारको कब्जा करा दिया।
जागरण संवाददाता, उन्नाव : भू-माफिया पर मेहरबान राजस्व विभाग उसी के इशारे पर नाच रहा है। उन्हें लाभ देने के लिए राजस्व संहिता के नियमों और कानून तक को ताक पर रख दिया जा रहा है। सदर तहसील के मझरा पीपरखेड़ा गैरएहतमाली में एक भू-माफिया के इशारे पर बिना बटवारा और हदबरारी का वाद दायर किए ही एक खाताधारक को कब्जा करा दिया। नियम कायदे ताक पर रखकर की गई प्रशासन की इस कार्रवाई से पीड़ित सह खाताधारकों ने मुख्यमंत्री से न्याय दिलाने की फरियाद की है।
मझरा पीपरखेड़ा गैरएहतमाली में भूमि संख्या 706-ख रकबा 0.1900 हेक्टेयर जमीन बटवारे को लेकर सह खाताधारकों में विवाद चल रहा था। पीपरखेड़ा गड़रियन वाला के रहने वाले दिनेश कुमार पुत्र स्व. बाबूलाल ने डीएम से शिकायत की थी कि वह भूमि संख्या 706-ख 0.1900 हेक्टेयर का खाताधारक है। जमीन को उसके सहखातेदार गुलाब पुत्र हुलास, खन्नू व बबलू पुत्रगण गुलाब आदि जोत बो रहे हैं उसे उसके हिस्से की जमीन पर कब्जा नहीं मिल रहा है। डीएम ने एसडीएम को जांच करा कब्जा दिलाने का निर्देश दिया। एसडीएम ने तीन अगस्त को नायब तहसीलदार, लेखपाल, कानूनगो को मौके पर जाकर जांच करने कहा। जांच में सह खाताधारकों में भूमि बटवारा न होने से विवाद की बात सामने आई। दूसरे दिन ही तहसील प्रशासन पुलिस और राजस्व कर्मियों के साथ विवादित भूमि पर कब्जा कराने पहुंच गया। भूमि का बटवारा कराये बिना ही शिकायतकर्ता को कब्जा कर दिया गया।
जबकि नियमत: दोनों के बीच आपसी सहमति से या फिर एसडीएम न्यायालय में हदबरारी और बटवारे का वाद दायर किया जाना चाहिए था। पर इसका पालन नहीं किया गया। राजस्व संहिता के कानून को भी प्रशासन नहीं माना। बिना आपसी सहमति से बटवारे या भूमि का फाट कराए बिना ही दिनेश को कब्जा दिला दिया। जबकि पूर्व से इस भूमि पर काबिज गुलाब और उसके बेटे खुन्नू आदि प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध कर न्यायिक प्रक्रिया के तहत पहले बटवारा करने के बाद कब्जा दिलाने की मांग करते रहे पर उनकी एक नहीं चली। प्रशासन की नियम विरुद्ध कार्रवाई से पीड़ित सहखाता धारकों का स्थानीय राजस्व विभाग व प्रशासनिक अफसरों से विश्वास उठ गया है। उसने मुख्यमंत्री को पत्र भेज प्रशासन की असंवैधानिक कार्यवाही का विरोध दर्ज कराते हुए न्याय की गुहार लगाई है।