मिलावट के खेल में मौत को दावत
जागरण संवाददाता, उन्नाव : दीवाली में सबसे अधिक जोर आतिशबाजी का रहता है। बिना पटाखों के द
जागरण संवाददाता, उन्नाव : दीवाली में सबसे अधिक जोर आतिशबाजी का रहता है। बिना पटाखों के दीवाली फीकी रहती है। हालांकि पटाखों को तैयार करने वाले मुनाफे के फेर में लोगों की ¨जदगी से खिलवाड़ करने में भी गुरेज नहीं करते। पटाखा निर्माण में प्रयोग होने वाली गंधक की जगह प्रतिबंधित मेंसर और शोरा जैसे रसायनों का प्रयोग कर बारूद तैयार करते हैं।
आतिशबाजी निर्माण को जारी होने वाले लाइसेंस के साथ अनार, महताब और तिकोना पटाखे बनाने की ही अनुमति दी जाती है। अधिक मुनाफे के फेर में आतिशबाज बेहिचक नियमों को तोड़ते हैं। निर्धारित मानक के तहत बारूद में गंधक का प्रयोग किया जाना चाहिए। लेकिन गंधक के साथ कई बंदिशें उन्हें यह करने से रोक देती हैं। इससे उन्हें मुनाफा और कारोबार दोनों के ही प्रभावित होने का खतरा महसूस होता है। इसी कारण से वह आतिशबाजी तैयार करने में ऐसी सामग्री का प्रयोग करते हैं जो जीवन के लिए खतरनाक है। बारूद तैयार करने में इस तरह होता खेल
अधिक कमाई और ज्यादा मात्रा में आतिशबाजी तैयार करने के लिए मुनाफाखोर गंधक की जगह मेंसर का प्रयोग करते हैं। प्रतिबंधित होने के बाद भी मेंसर आधी से भी कम कीमत में आसानी से मिल जाती है। मेंसर गंधक की जगह अधिक विस्फोटक होता है। इससे तैयार आतिशबाजी में विस्फोट होने का खतरा अधिक होता है। माल बरामदी के बाद आगे की प्रकिया भूल जाती पुलिस
पूर्व में बीघापुर और सोहरामऊ में पुलिस द्वारा अवैध रूप से आतिशबाजी भंडारण पकड़ा गया। सोहरामऊ में एक किशोरी की जान भी चली गई। पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज किया पर यह पता लगाने की कोशिश नहीं की, विस्फोट का कारण क्या रहा। फारेंसिक से जांच भी करवानी उचित नहीं समझी। इतना ही नहीं इस बात का पता लगाने की कोशिश नहीं कि माल आया कहां से। बिहार में मानकों की बलि
बिहार थाना क्षेत्र में एक लाइसेंसधारक के यहां आतिशबाजी निर्माण मानकों के विपरीत होता मिला। महताब, अनार और तिकुनिया पटाखों में गंधक की जगह मेंसर का प्रयोग होता मिला। पूछने पर लाइसेंसधारक ने बताया कि महंगा मिलने से गंधक का इस्तेमाल नहीं होता है। लाइसेंसधारकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। टीम बनाकर चे¨कग की जा रही है। जहां भी अनियमितता मिली कार्रवाई की जाएगी।
- सुरेंद्र ¨सह, सीएफओ