मिलावटी नमकीन बिगाड़ेगी पेट और स्वाद
जागरण संवाददाता, उन्नाव : होली का त्योहार आते ही बाजार में नमकीन का स्टाक तैयार करने
जागरण संवाददाता, उन्नाव : होली का त्योहार आते ही बाजार में नमकीन का स्टाक तैयार करने में दुकानदार लग गए हैं। थोक कारोबारी सप्लाई के लिए माल तैयार करने में लगे हैं। नमकीन में भी मिलावट का खेल चल रहा है।
होली के त्योहार में पापड़ से लेकर गुझिया तक रेडीमेड लेने का चलन बढ़ा है। त्योहार के समय नमकीन की बिक्री भी बढ़ जाती है। आम तौर पर दो सौ से ढ़ाई सौ रुपया किलो नमकीन बिकता है। लेकिन तमाम दुकानों पर 120 से 150 रुपया किलो तक में नमकीन बिकती है। सस्ती के चक्कर में इन दुकानों पर बिक्री भी खूब होती है। नमकीन बनाने वाले दुकानदारों की मानें तो इस समय अच्छा बेसन 90 से 100 रुपया किलो है। रिफाइंड भी 90 से 100 रुपया किलो है। एक किलो बेसन पर औसतन 750 ग्राम रिफाइंड लगता है। इसके अलावा मसाला नमक, गैस आदि लगता है वह अलग। इस तरह एक किलो नमकीन पर लगभग 170 रुपया की लागत आती है। दुकानदार को कारीगर का पैसा देना पड़ता है वह अलग से। सवाल यह उठता है कि जब सामान्य नमकीन की लागत 170 रुपया किलो आती है तो बाजार में 130 से लेकर 160 तक कैसे बिक रही है। इससे साफ है कि नमकीन में भी मिलावट का खेल चल रहा है।
-मिलावट का खेल
बेसन मटर मिला लिया जाता है उसमें 40 प्रतिशत तक चावल का आटा मिला दिया जाता है। उसे बेसन का रंग देने के लिए लिए पीला रंग मिला दिया जाता है। इसके साथ ही सस्ते पामआयल में तला जाता है। जिससे लागत 90 से 100 रुपया किलो ही आती है। इसे ही पै¨कग और खुले में बेचा जाता है।
-मिलावट से है सेहत को खतरा
फिजीशियन डा. आलोक पाण्डेय ने कहा कि अखाद्य रंग केमिकल से बनाए जाते हैं। तेल में खौलन पर रासायनिक क्रिया होती है। जो सेहत के लिए खतरनाक होती है। इस तरह की नमकीन के सेवन से आंतों में घाव तक हो जाते हैं। इस तरह की नमकीन बंद डिब्बा में चार पांच दिन रखने पर महक आने लगती है। जिसे खाने से अक्सर लोग उल्टी-दस्त का शिकार हो जाते हैं। लीवर खराब होने का भी डर रहता है।