डॉक्टर के बिना चल रहीं पीएचसी
सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करे। लेकिन उसके प्रयासों पर उसके नुमाइंदे ही पानी फेरने का काम कर रहे हैं। एक तरफ संक्रामक रोग का हमला जारी है दूसरी तरफ अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से संचालित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कांशीराम कालोनी और चंपापुरवा गंगाघाट दो ऐसे हैं जिनमें लगभग दो वर्ष से डॉक्टर नहीं है। फार्मासिस्ट और स्टाफ नर्स के सहारे पीएचसी चल रही है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसर इससे बेफिक्र हैं। उन्होंने डॉक्टर को संबद्ध करना भी गंवारा नहीं किया जबकि जिला अस्पताल समेत ऑनरोड अस्पतालों में डॉक्टरों को उनकी सुविधा के अनुसार संबद्ध कर रखा गया है।
जागरण संवाददाता, उन्नाव : सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करे, लेकिन उसके प्रयासों पर उसके नुमाइंदे ही पानी फेरने का काम कर रहे हैं। एक तरफ संक्रामक रोग का हमला जारी है दूसरी तरफ अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से संचालित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कांशीराम कालोनी और चंपापुरवा गंगाघाट दो ऐसे हैं जिनमें करीब दो वर्ष से डॉक्टर नहीं है। फार्मासिस्ट और स्टाफ नर्स के सहारे पीएचसी चल रही है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसर इससे बेफिक्र हैं। उन्होंने डॉक्टर को संबद्ध करना भी गंवारा नहीं किया जबकि जिला अस्पताल समेत ऑनरोड अस्पतालों में डॉक्टरों को उनकी सुविधा के अनुसार संबद्ध कर रखा गया है।
स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी और आम लोगों को नजदीक इलाज की सुविधा देने के लिए उन्नाव और गंगाघाट नगर पालिका क्षेत्र में पांच नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। इनमें उन्नाव शहर में तीन कांशीराम कालोनी, मोतीनगर और केशरगंज और गंगाघाट में दो नगरीय पीएचसी चंपापुरवा और ब्रह्मानगर में संचालित है। पांच नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से दो कांशीराम और चंपापुरवा में लगभग डेढ़-दो वर्ष से चिकित्सक की तैनाती नहीं हैं। जब इन अस्पतालों में औसतन 50-60 मरीज प्रतिदिन आते हैं। दोनों ही अस्पताल फार्मासिस्ट के सहारे चल रहे हैं। डॉक्टर न होने से वही मरीज देखते हैं और दवा भी देते हैं। इससे अधिकांश मरीज मजबूरी में निजी अस्पतालों की शरण में जाते हैं।
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डॉक्टर न होने से स्टाफ की चलती मनमर्जी
- गुरुवार को जागरण टीम ने काशीराम कालोनी नगरीय पीएचसी की स्वास्थ्य सेवाओं को परखा। यहां अतिश, रहीशुन, कमलेश व शलीनी आदि दो दर्जन मरीज दवा के लेने के लिए बैठे थे। फार्मासिस्ट अवनीश कुमार जुकाम-बुखार के साधरण मरीजों को दवा दे रहे थे। उन्होंने कहा कि लगभग दो वर्ष से डॉक्टर नहीं हैं। जो गंभीर बीमारी के मरीज आते हैं, उन्हें जिला अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है। यहां तैनात दो स्टाफ नर्स में एक जिला अस्पताल से संबद्ध है।
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चंपापुरवा में डॉक्टर के साथ स्टाफ नर्स भी नहीं
- गंगाघाट नगर पालिका क्षेत्र में शुक्लागंज के चंपापुरवा नगरीय पीएचसी में फार्मासिस्ट विकास शुक्ल मरीज देखते मिले। उन्होंने बताया कि डॉक्टर लगभग एक वर्ष से नहीं हैं। एक स्टाफ नर्स थीं उन्होंने 6 माह पूर्व त्यागपत्र दे दिया था। तब से दोनों स्टाफ नर्स के पद रिक्त चल रहे हैं। फार्मासिस्ट का कहना था 40-50 मरीज प्रतिदिन आते हैं। यहां मौजूद मरीजों में विष्णु, राजू, आशीष आदि ने बताया कि डॉक्टर न होने से मरीज को निजी डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है।
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- डॉक्टर स्वत: त्यागपत्र देकर चले गए हैं। रिक्त पदों के सापेक्ष भर्ती करने के लिए नोटिस प्रकाश भी किया जा चुका है। लेकिन कोई योग्य चिकित्सक नहीं आ रहे हैं, इससे तैनाती नहीं हो पा रही है। साधारण मरीजों को देखने और दवा देने के लिए फार्मासिस्ट अधिकृत है। प्रयास है डॉक्टर की जल्द तैनाती कराई जाए।
- डॉ. आरएस मिश्र, नोडल अधिकारी, नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र