शुक्लागंज में कार्तिक पूर्णिमा पर उमड़ा सैलाब, हजारों ने गंगा में लगाई डुबकी
संवाद सहयोगी शुक्लागंज कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को गंगा नदी के घाटों पर आस्था
संवाद सहयोगी, शुक्लागंज: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को गंगा नदी के घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। भोर पहर से ही हर-हर महादेव शंभू, काशी विश्वनाथ गंगे के जयघोष से गंगा के घाट गूंजते रहे। हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर पुण्य कमाया। गंगा स्नान के उपरांत श्रद्धालुओं ने दूध, घृत, शहद, अक्षत, रोली, चंदन, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य समर्पित कर पतित पावनी मां गंगा की बड़े ही श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करने के साथ सुख व समृद्धि की कामना की।
घाटों पर पुलिस, फ्लड पीएसी बराबर नाव से निगरानी करती रही। 10 नाव और बीस गोताखोर लगाए गए थे। गंगा किनारे सजी मेले की दुकानों में लोगों ने खरीदारी की। मिश्रा कालोनी घाट, शिवबाबा घाट, गंगा बिशुन घाट, आनंदघाट, बालूघाट, पुल के नीचे बने घाट, जाजमऊ में चंदनघाट पर स्नानार्थियों की भीड़ रही। गंगा नदी में स्नान के लिए एक दिन पहले से ही श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया था। श्रद्धालुओं ने गंगा के घाटों पर डेरा डाल रखा था। स्नान करने के बाद लोग घरों को रवाना हो गए। कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व को लेकर नगर पालिका गंगाघाट ने सभी घाटों पर लाइट की व्यवस्था कराई थी। दूधिया रोशनी से गंगा के सभी घाट जगमग रहे। गंगा के घाटों पर दूधिया रोशनी रही। वहीं बच्चों ने कोविड-19 को लेकर 'एक मास्क अनेक जिदगी' की रंगोली बनाकर लोगों को जागरूक किया। वहीं घाटों का निरीक्षण एडीएम राकेश सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट चंदन पटेल व सीओ सिटी गौरव त्रिपाठी ने औचक जांचा। उधर, श्रद्धालुओं के हुजूम की वजह से सरैया क्रासिग पर सड़क यातायात प्रभावित रहा। स्टेशन से लेकर क्रासिग तक आरपीएफ व पुलिस सजग रही।
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खोया पाया कैंप से हुई निगरानी
- गंगाघाट में स्नान स्थल पर खोया पाया कैंप लगाया गया। जिससे घाटों की निगरानी की जाती रही। खोया पाया कैंप से कोविड- नियमों का पालन करने की हिदायत दी जाती रही। मास्क व शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए बराबर माइक से अनाउंसमेंट कराया जाता रहा।
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घरों से हटाई मूर्तियां गंगा किनारे छोड़ी
- घरों से निकली पूजन सामग्री व गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों को गंगा में न डालने की हिदायत बराबर दी जाती रही। कैंप से अनाउंसमेंट किया जाता रहा। खंडित मूर्तियों को गंगा किनारे न डालने की हिदायत दी जाती रही। लेकिन लोग नहीं मानें उन्होंने घरों से लाई मूर्तियों को गंगा के किनारे ही रख दी।