रमजान में बेसुमार रहत और मगफिरत की होती बारिश
शाही मस्जिद किला के हाफिज शफीक ने रमजान माह की फजीलत बयां करते हुए तकरीर में कहा कि अल्लाह फरमाता है जिसने भी माहे रम•ान के आने की खुशी मनाई और जाने का अफसोस किया उस पर जन्नत वाजिब होती है। एक साल के लिए ये मुबारक महीना लोगों से जुदा हो जाता है और वो सारी रहमतें भी नहीं मिल पाती है
जागरण संवाददाता, उन्नाव : शाही मस्जिद किला के हाफिज शफीक ने रमजान माह की फजीलत बयां करते हुए तकरीर में कहा कि अल्लाह फरमाता है जिसने भी माहे रम•ान के आने की खुशी मनाई और जाने का अफसोस किया उस पर जन्नत वाजिब होती है। एक साल के लिए ये मुबारक महीना लोगों से जुदा हो जाता है और वो सारी रहमतें भी नहीं मिल पाती है जो रम•ान में अल्लाह अपने बन्दों को अता करता है। इस लिए रमजान के पाक माह के जो दिन बचे हैं हर बंदा अल्लाह की इबादत कर ले क्यों कि फिर एक वर्ष तक ऐसा मौका नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा कि रमजान माह की हर घड़ी अल्लाह की तरफ से रोजेदारों के लिए बेपनाह मगफिरत और बेशुमार बरकत बरसती है। पैगंबर मुहम्मद साहब ने फरमाया कि वह इंसान नेकियों से महरूम रह गया जिसे रमजान मिला और उसकी कद्र न की। उन्होंने कहा अल्लाह का मोमीनों पर बहुत बड़ा अहसान है की उसने बंदों को रमजान जैसा पाक और मुबारक महीना अता फरमाया है। जालीदार टोपी का नखरा बरकरार
ईद के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे बाजार की रौनक बढ़ती जा रही है। जालीदार टोपी रोजेदारों की आज भी पहली पसंद बनी है। इसकी मांग भी खूब है। पकवानों में सिवइ हर घर की पहली पसंद है। अभी कपड़ों के साथ मेहमानों का स्वागत करने के लिए खाने पीने की वस्तुओं की खरीददारी सबसे अधिक है। देर रात तक बाजार में भारी भीड़ रहती है। रेडीमेड कपड़ों की दुकानों पर महिलाओं और बच्चों की भीड़ सबसे अधिक दिख रही है तो टेलरों के यहां कुर्ता पायजामा सिलवाने के लिए अभी लोग पहुंच रहे हैं। यतीमों व बेसहारा लोगों की मदद करना फर्ज
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जामा मस्जिद के इमाम मौलाना नईम खान ने कहा अल्लाह ने अपने बंदों पर रहमत की बारिश करने के लिए रमजान माह अता किया है। रोजा रखने वालों पर फर्ज है कि वह यतीमों, गरीबों ओर बेसहारा लोगों की मदद करें ताकि वह भी ईद की खुशियां मना सके। इसके लिए अल्लाह ने हैसियतमंद को •ाकात अदा करने का हुक्म भी दिया है। फतरा अदा करना भी राजेदार न भूले। रोजा रखने से मिलता जिस्मानी और रूहानी फायदा
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शहर के मोहल्ला गद्दियाना निवासी 30 वर्षीय फैजी ने कहा कि रमजान के पाक माह में अल्लाह की इबादत करने वाले और राजा रखने वाले हर बंदे को जिस्मानी और रूहानी दोनों फयदे होते हैं। उन्होंने कहा कि 9 वर्ष की उम्र से रोजा रखना शुरु किया था पहले ही रोजा के बाद अल्लाह ने वह तौफीक अता की नेकी की राह पर चलकर इबादत करना नहीं भूलता हूं।