उन्नाव में एक हफ्ते में दूसरी बार सड़क के किनारे मिलीं सरकारी अस्पताल की दवाएं
ग्रामीण से खेतों के नजदीक काफी मात्रा में दवाइयां पड़े होने की सूचना मिली तो यह देख स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गई।
उन्नाव (जेएनएन)। प्रदेश में एक ओर जहां पर लोग दवा के अभाव में जीवन गंवा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी अस्पताल की दवाएं सड़क के किनारे फेंकी जा रही हैं। उन्नाव में यह प्रकरण दोहराया गया है।
उन्नाव में एक हफ्ते के अंदर दूसरी बार हसनगंज क्षेत्र के नवई सरांस के पास झाड़ी में बड़ी मात्रा में सरकारी अस्पताल की दवाएं मिली हैं। माना जा रहा है कि दवाएं आसपास के किसी सरकारी अस्पताल से यहां पर फेंकी गई हैं। इससे पहले भी मिली दवा कहां से आई थी, अभी इसका मामला सुलझ नहीं पाया है।
आज नवई को पास जो दवाएं मिली हैं उनमें गैस्ट्रिक सीरप रेलसर जेल, डीएस सीरप, एंटीबायरोटिक एंपीसिलिन, मेजो डीएस, बेंजोइन एसिड कंपांउंड, दस्त की दवा नारफ्लासिन, पैरासीटामाल आदि हैं। इसके पूर्व 31 अगस्त को जगह पर दवाएं मिली थीं जिन्हें उरई की बताकर पल्ला झाड़ लिया था।
ग्रामीण से खेतों के नजदीक काफी मात्रा में दवाइयां पड़े होने की सूचना मिली तो यह देख स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गई। सूचना मिलने पर खुफिया विभाग के कर्मचारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। टीम ने फेंकी गई सभी दवाइयों को कब्जे में लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
सीएमओ ने कहा की टीमों को भेजा गया है। अब उनके वापस आने पर ही मिली हुई दवाओं की मात्रा का सही विवरण मिल सकेगा। इस मामले में उन्नाव के सीएमओ डॉ. लालता प्रसाद ने बताया कि दवाइयां कहां से आई हैं और किसने फेंकी है इस बारे में जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि जांच के आदेश डिप्टी सीएमओ को दिए हैं। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग के साथ पुलिस भी इस मामले की जांच में जुट गई है।
उधर सड़क पर दवाइयां मिलने को लेकर लोगों ने रोष जताया। इन लोगों का कहना है कि अस्पताल में जब इलाज के लिए जाते हैं तो चिकित्सक तो पर्ची पर दवाई लिख देते हैं, लेकिन अस्पताल में जो सस्ती दवाई होती है वे तो मिल जाती है, लेकिन महंगी दवाई नहीं मिलती।