12000 आवारा मवेशियों से हाईवे व एक्सप्रेस-वे पर खतरा
जागरण संवाददाता उन्नाव आवारा पशु न केवल किसानों के खेत के दुश्मन बने हुए हैं बल्कि लो
जागरण संवाददाता, उन्नाव : आवारा पशु न केवल किसानों के खेत के दुश्मन बने हुए हैं, बल्कि लोगों को भी मौत बांट रहे हैं। हाल यह है जिले में किसान अपनी फसल को बचाने के लिए रतजगा करने को मजबूर हैं। वहीं वाहन सवारों को पूरे होशोहवास में वाहन चलाना पड़ रहा है न जाने किस मोड़ पर उनसे टक्कर हो जाए। प्रशासन टैगिग कराने की बात तो करता पर अभी भी 12 हजार मवेशी टैगिग से अछूते हैं।
आवारा पशुओं की जब संख्या के साथ घटनाएं बढ़ी तो सरकार ने इनके आश्रय स्थल बनवाने के निर्देश दिए हैं। शासन के निर्देश पर जिले में 188 गोआश्रय स्थल बनने हैं। इसमे से 76 अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल ही तैयार हो सके हैं। टैगिग के तहत अब तक 15 हजार 147 आवारा पशु चिह्नित हुए हैं। वहीं 3200 जानवर पकड़ कर बंद किए गए हैं। वहीं पिछले पांच सालों में अन्ना मवेशियों की वजह से 30 लोगों को जान गंवानी पड़ी वहीं पांच सैकड़ा लोग घायल हुए। आगरा एक्सप्रेस-वे पर आवारा मवेशियों की वजह से दो साल में 14 लोगों की जान जा चुकी है। दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
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नाला खोदाई तक सीमित पशु आश्रय स्थल
- सफीपुर ब्लाक क्षेत्र में तीन पशु आश्रय स्थल प्रस्तावित है। लहबरपुर गांव में बन रहे आश्रय स्थल की तीन ओर नाला खुदाई का कार्य ही अब तक हो सका है। वहीं महमूदपुर गांव में बन रहे पशु आश्रय स्थल के लिए टीन शेड का कार्य प्रगति पर है। अब तक महमूदपुर गांव में ही केवल 10 पशुओं की टैगिग की गई है।
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ग्रामीण क्षेत्र टैगिग से अछूते
- पुरवा ब्लाक में 44 अस्थायी गोशालाओं के निर्माण का काम शुरू हुआ है। पासाखेड़ा में सरस हाट में 50 फीसद गोशाला का काम हो चुका है। वही नगर पंचायत में अब तक टैंगिग की गई है। ग्रामीण क्षेत्र टैंगिग से अछूते हैं।
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निर्माण कार्य बंद
- कल्यानी के स्थल का निर्माण 15 दिन से बंद हैं। अहिरोरा, मलयपुर में निर्माण कार्य चल रहा है। लोगों ने बताया कि मनरेगा में पैसा न होने के कारण निर्माण कार्य प्रभावित है। टैंगिग का काम नगर पंचायत भगवंत नगर, देवारा, देवी खेड़ा में ही हुआ हैं।
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मनरेगा से बनेंगे 32 पशु आश्रय स्थल
- प्रशासन द्वारा 32 पशु आश्रय स्थलों का निर्माण मनरेगा से कराया जाएगा वहीं एक का निर्माण पशु पालन विभाग कराएगा।
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- अस्थाई गोशाल बनवाने में भूमि की कोई समस्या नहीं है, लेकिन बजट न मिल पाने से दिक्कत आ रही है। पशुओं के चारा-पानी के लिए एक करोड़ रुपया मिल है। हर दिन 30 रुपये पशुओं पर खर्च किए जा रहे हैं।
- डॉ. पीके सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी