प्रदूषण पर भी जीएसटी, महंगा होगा प्रमाण पत्र
जागरण संवाददाता, उन्नाव : प्रदूषण प्रमाण पत्र के लिए भी अब वाहन मालिकों की जेब ढीली होगी। जीए
जागरण संवाददाता, उन्नाव : प्रदूषण प्रमाण पत्र के लिए भी अब वाहन मालिकों की जेब ढीली होगी। जीएसटी लागू होने से सेवाकर में लगने वाले टैक्स के दायरे में प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र को भी लाया गया है। प्रमाण पत्र जारी करने वाली एजेंसी अब प्रति ग्राहक 18 फीसदी जीएसटी वसूल करेगी। इसमें केंद्र और प्रदेश दोनों का टैक्स शामिल है।
केंद्रीय मोटर यान, 1989 के नियम 115 (7) के तहत वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र जरूरी है। यह प्रमाण पत्र तभी जारी होता है जब वाहन प्रदूषण उत्सर्जन के मानकों पर खरा उतरता है। प्रमाण उसी सूरत पर जारी होता है जब यह देख लिया जाता है कि वाहन से निकलने वाला धुंआ पर्यावरण के हानिकारक नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र के लिए परिवहन विभाग की ओर से अधिकृत एजेंसी को इसका जिम्मा सौंपा जाता है। जो निर्धारित शुल्क वसूलकर प्रमाण पत्र जारी करती है। अब इन एजेंसियों को जारी किए गए प्रमाण पत्रों के आधार पर जीएसटी भी देना होगा। इस कर की वसूली एजेंसियां वाहन मालिकों से प्रमाण पत्र जारी करने के समय शुल्क के साथ वसूल करेंगी। इसके पूर्व वाहन बीमा में भी जीएसटी अनिवार्य कर दिया गया था। प्रदूषण प्रमाण पत्र के नाम पर अब तक दोपहिया से चार पहिया और अन्य वाहनों के प्रदूषण प्रमाण पत्र पर 35 से 110 रुपये वसूल किया जाता था। 18 फीसद जीएसटी के बाद अब वाहन स्वामियों को जेब ढीली करनी पड़ेगी।
----------------------
प्रमाण पत्र न होने पर क्या होगी कार्रवाई
बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र के सड़क पर वाहन दौड़ाने वाले वाहनों से पहली बार में 1000 रुपये और दूसरी बार में 2000 तक जुर्माना वसूला जाता है। इसके साथ ही वाहन का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र न होने पर बीमा नहीं हो सकेगा। बिना बीमा के वाहन दौड़ाने वालों का जुर्माना और अधिक हो जाता है।
-----------------
सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां जीएसटी के दायरे में हैं। इसके तहत 18 फीसद टैक्स वसूला जाता है, जो प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी करने वाली निजी कंपनी पर भी लागू होता है।- आशीष निरंजन, उपायुक्त वाणिज्यकर विभाग उन्नाव