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किसान आंदोलन के जनक को किया याद

जागरण टीम उन्नाव जिले के पहले सांसद पत्रकार व शिक्षाविद किसान आंदोलन के जनक पंडित विश्व

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 06:27 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 05:09 AM (IST)
किसान आंदोलन के जनक को किया याद
किसान आंदोलन के जनक को किया याद

जागरण टीम, उन्नाव: जिले के पहले सांसद, पत्रकार व शिक्षाविद किसान आंदोलन के जनक पंडित विश्वंभर दयालु त्रिपाठी की जयंती कई स्थानों पर मनाई गई। उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व को नमन कर उनके दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया गया।

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शहर स्थित गांधी नगर तिराहे पर मौजूद त्रिपाठी पार्क, डीएसएन कॉलेज के अलावा उनकी कर्मस्थली बांगरमऊ में लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। शहर में पंडित विश्वंभर दयालु त्रिपाठी स्मारक समित ने सोमवार को गांधी नगर तिराहा स्थित त्रिपाठी पार्क में संगोष्ठी आयोजित की गई। वरिष्ठ उपाध्यक्ष रमाशंकर शुक्ल और महामंत्री शैलजा शरण शुक्ल ने कहा कि जननायक पंडित विश्वंभर दयालु त्रिपाठी भारतीय राजनीति के सिर्फ एक पुरोधा ही नहीं वरन एक सच्चे समाज सुधारक के रूप में सदियों तक याद किए जाएंगे। डॉ रामनरेश सिंह, बोधशंकर दीक्षित, अमरेंद्र शंकर सिंह, नीरज अवस्थी, नवीन शुक्ला, दिनकरराव, राजीव अवस्थी आदि मौजूद रहे। वहीं बांगरमऊ नगर के कल्याणी नदी के पावन तट पर स्थित स्वर्गीय विश्वम्भर दयाल त्रिपाठी की समाधि पर सैकड़ों नागरिकों ने उनके जन्मदिन पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। पूर्व शिक्षक धीरेंद्र शुक्ल ने कहा कि बहुआयामी राष्ट्रीय व्यक्तित्व के धनी त्रिपाठी ने वर्ष 1957 के आम चुनाव में अपनी पार्टी से टिकट के लिए औपचारिक आवेदन भी नही किया। नेपथ्य मे चल रही कथित हलचल से वह अनमने थे। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए सहमत कर लिया । त्रिपाठी जी ने लोकसभा सदस्य के लिए कांग्रेस से अपना नामांकन कराया और इसके बाद वह अन्य प्रांतों मे पार्टी के प्रचार मे चले गये। अनुपस्थिति के बावजूद स्वर्गीय त्रिपाठी ने भारी मतों से विजय दर्ज की। कहा कि उन्नाव जिले के प्रथम सांसद पत्रकार एवं शिक्षाविद स्वर्गीय त्रिपाठी अपने संसदीय क्षेत्र मे मतदाताओं से सम्पर्क करने नही आये। उस चुनाव में लोकसभा और विधानसभा के लिए एक साथ मतदान हुआ। विधानसभा की तत्कालीन सात सीटों पर जनपद मे हुए मतदान मे कांग्रेस पार्टी के सभी उम्मीदवार पराजित हो गये। जबकि त्रिपाठी कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के लिए पुन: विजयी हुए। प्रवेश कुमार सिंह गुड्डू, मनीष त्रिपाठी ,संजीव त्रिवेदी , वीरेंद्र अवस्थी, अभिषेक शुक्ला,आदर्श द्विवेदी, राजीव शर्मा आदि मौजूद रहे।

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दस रुपये दो आना छोड़कर गए थे त्रिपाठी

- 18 नवंबर 1959 को उनका निधन हुआ। त्रिपाठी अपने पीछे केवल दस रुपये दो आना छोड़ कर गए थे।


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