न्याय पंचायत स्तर पर परिषदीय स्कूलों की जांच से महकमे में खलबली
जागरण संवाददाता उन्नाव बच्चों की सुविधाओं पर खर्च होने वाली कंपोजिट ग्रांट का बंदरबांट क
जागरण संवाददाता, उन्नाव: बच्चों की सुविधाओं पर खर्च होने वाली कंपोजिट ग्रांट का बंदरबांट करने वाले अफसरों ने 'कायाकल्प' योजना के तहत स्कूलों में होने वाले कार्यों में चांदी काटी है। शासन स्तर पर स्थलीय व भौतिक सत्यापन में मिली अनियमितता के बाबत डीएम रवींद्र कुमार ने न्याय पंचायतवार बीडीओ, एडीओ व लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं से जांच शुरू कराई है।
राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय लखनऊ से परिषदीय स्कूलों में हुए विकास कार्यों की जांच बीते अगस्त माह में कराई गई थी। सिकंदरपुर सरोसी, पुरवा, सफीपुर, बिछिया व सिकंदरपुर कर्ण के उच्च प्रावि. का निरीक्षण किया गया। उच्च प्रवि रूपऊ, बिलारी गोझा, रामपुर, रमचरामऊ के उच्च प्रावि में अवस्थापना सुविधा के तहत वर्ष 2017-18 में 72500-72500 रुपये में लगाए गए नए हैंडपंप बदहाल मिले। यही नहीं, विकासखंड वार चिह्नित 90 परिषदीय स्कूलों में फर्नीचर की आपूर्ति मानकविहीन मिली थी। फर्नीचर की खरीद को लेकर एक स्कूल के लिए 156100 रुपये का बजट था। कायाकल्प के तहत स्कूलों में हुए कार्य संतोषजनक न मिलने पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा व राज्य परियोजना निदेशक वीके आनंद ने नाराजगी जताई है। कायाकल्प के तहत स्कूलों में मानकविहीन हुए कार्यों पर डीएम रवींद्र कुमार ने बीएसए प्रदीप कुमार पांडेय से जवाब मांगा है। डीएम रवींद्र कुमार का कहना है कि कायाकल्प के तहत स्कूलों में जो भी कार्य कराए गए, वह संतोषजनक नहीं मिले हैं।