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दो साल से खाली, मजदूर की 10 रुपये वाली थाली

उप्र कर्मकार एवं सन्निर्माण विभाग के अंतर्गत छह साल पहले गरीबों के लिए 10 रुपये में भोजन की व्यवस्था पूरे जोर शोर से की गई थी। योजना के अंतर्गत दही चौकी के निकट एक मेस भी स्थापित भी किया गया था। योजना पर अमल करते हुए सीधे शासन स्तर से वेण्डर चुने गए। मजदूरों को खाना खिलाने के लिए इन वेंडर पर लाखों रुपए बजट के वारे न्यारे भी किए गए। जनपद में श्रम विभाग के अंतर्गत पंजीकृत 6

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 11:47 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 11:47 PM (IST)
दो साल से खाली, मजदूर की 10 रुपये वाली थाली

जागरण संवाददाता, उन्नाव : उप्र कर्मकार एवं सन्निर्माण विभाग द्वारा छह साल पहले गरीब मजदूरों के लिए 10 रुपये में भोजन की योजना बड़े जोर शोर से शुरू हुई थी। इसके लिए दही चौकी में एक मेस भी बनाया गया। योजना पर अमल करते हुए सीधे शासन स्तर से वेंडर चुने गए। इनके द्वारा ही मजदूरों तक खाना पहुंचाना था। इसपर लाखों रुपए बजट के वारे न्यारे भी किए गए। लेकिन, योजना कहीं दिख ही नहीं रहा है।

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जनपद में श्रम विभाग के अंतर्गत पंजीकृत 68770 मजदूरों में से दो साल से गरीबों को अन्न का एक टुकड़ा भी नसीब नहीं हुआ।

निर्मांण मजदूरों अपने कार्य की तलाश में दूरदराज के राज्यों और जिलों से आते हैं और उनके पास न तो रहने का स्थान होता है और न ही भोजन बनाने की कोई उचित व्यवस्था होती है। इसके अभाव में उनकी कार्य कुशलता प्रभावित होती है तथा उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए ऐसे मजदूरों को उनके कार्यस्थल के आसपास एक बार पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराए जाने से उनके स्वास्थ्य एवं कार्य क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। योजना में भवन सन्निर्माण कर्मकार रोजगार नियोजन सेवा शर्त अधिनियम, 1996 की धारा 12 के अंतर्गत पंजीकृत सभी निर्माण मजदूरों को ही पात्र बनाया गया था।

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नकद देते पैसा, फिर भी न दे पाए भोजन

पंजीकृत लाभार्थी मजदूरों को निर्धारित 10 रुपये के साथ समय-समय पर संशोधित मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराने के नियम को मजूदर पालन कर रहे थे। भोजन के मूल्य का भुगतान मजदूर के द्वारा नकद किया जा रहा था।मजदूर द्वारा भुगतान किए गए दस रुपये के अतिरिक्त अवशेष लागत की प्रतिपूर्ति बोर्ड द्वारा अनुदान के रूप में भोजन बनाने वाली संस्था को देना था।

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यह था भोजन का मेनू

भोजन दो प्रकार के मीनू में उपलब्ध कराया जाता था।

मैन्यू -एक: छह रोटी, दो सब्जियां, 20 ग्राम गुड़, 40 ग्राम सलाद, अचार, दो हरी मिर्च

मैन्यू-दो: चावल 400 ग्राम, दो सादी सब्जी, दाल, गुड़ 20 ग्राम, सलाद 40 ग्राम, अचार व हरी मिर्च।

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योजना शासन से ही बंद कर दी गई है। जब तक चली तब तक विभाग के पंजीकृत निर्माण मजदूरों को इसका लाभ दिया गया है। जब निर्देश आएंगे तो फिर से योजना पर काम किया जाएगा।

- डॉ हरिश्चन्द्र सिंह, सहायक श्रमायुक्त

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सियासी वार-पलटवार

अछ्वुत सरकार है ये, रोजगार का वादा करके रोजी छीन लेती है। मजदूरों के हाथ से रोटी छीन लेती है। बीते ढाई साल में एक भी योजना नहीं ला पाए हैं। जो योजनाएं गरीबों के लिए संजीवनी थीं। उनको बंद जरूर कर रहे हैं। गरीबों के लिए सरकार कहने वाले गरीब के ही हाथ और पेट काट रहे हैं।

- सुनील सिंह साजन, एमएलसी समाजवादी पार्टी

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मजदूर को 10 रुपये मे भोजन वाली योजना सपा सरकार ने स्वयं और अधिकारियों के पेट भरने को बनाई थी। उसमें लूट खसोट हो रही थी। जिले में शायद ही किसी मजदूर को एक भी दिन खाना मिला हो। भाजपा सरकार ने उचित कदम उठाते हुए योजना बंद की है। साथ ही वह योजनाएं चलाई हैं जिनसे मजदूरों को जमीनी तौर पर लाभ मिल सके।

- पंकज गुप्ता, सदर विधायक, भाजपा


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