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कोहरे में अपराधी दे रहे पुलिस को गच्चा

जागरण संवाददाता, उन्नाव : घने कोहरे के दौरान दुर्घटनाओं के साथ-साथ अपराधिक वारदातों मे

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Dec 2017 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 25 Dec 2017 03:01 AM (IST)
कोहरे में अपराधी दे रहे पुलिस को गच्चा
कोहरे में अपराधी दे रहे पुलिस को गच्चा

जागरण संवाददाता, उन्नाव : घने कोहरे के दौरान दुर्घटनाओं के साथ-साथ अपराधिक वारदातों में भी इजाफा होता है। गश्ती टीमें क्षेत्र में दौड़ती भी है लेकिन टार्च की रोशनी में। इस रोशनी में उन्हें बामुश्किल दो चार फिट की दूरी का व्यक्ति ही नजर आता है, इससे अपराधी कोहरे की आड़ में खुद को छिपाने में सफल रहते हैं।

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यूं तो रोड होल्ड-अप की वारदातें पूरे साल कहीं न कहीं होती रहती है, पर सर्दियों में कोहरा पड़ने के दौरान वारदातें और भी बढ़ जाती हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए भीषण ठंड से जूझते हुए पुलिस हर तरह का प्रयास करती है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए थाना की गश्ती पुलिस के साथ वर्तमान में 100 पुलिस की व्यवस्था की गई है। जो अपने-अपने क्षेत्र में गश्त कर घटनाओं को रोकने का काम करते हैं। अधिकांश घटनाएं लखनऊ-कानुपुर हाईवे पर होती हैं। हाईवे के लुटेरों से निपटने के लिए कप्तान ने तगड़े इंतजाम किए हैं। पहले जहां जिसका हलका लगता था वह अपने क्षेत्र भर में ही भ्रमणशील रहता था। अब एक हल्के की पिकेट को दूसरे हल्के तक गश्त करने के निर्देश दिए गए है। यानी सीमा विवाद से पूरी तरह बचने का भी प्रबंध किया गया है। इस दौरान यदि कोई घटना हुई तो दोनो हलकों की पुलिस को इसका जिम्मेदार माना जाएगा। इसके साथ ही थाना प्रभारी और सीओ स्तर का अधिकारी भी रात में गश्त चेक करता है।

नहीं लगती कानबाई

रोड होल्डअप और राहजनी की घटना बहुल क्षेत्रों में कानबाई लगाई जाती है। कोहरे में इसका प्रयोग होना बेहद जरूरी होता है। कोहरे के चलते वाहनों की गति धीमी होने से लुटेरे वाहनों को निशाना बनाते हैं। कानबाई का मतलब प्रमुख मार्गों में करीब चार सिपाही 10 से अधिक वाहनों को रोककर उन्हें एक कतार में खड़ा करते हैं और उन्हें अपनी सीमा पार कराते हैं। दो सिपाही आगे ट्रक में और दो पीछे बैठते हैं, जिससे लुटेरे ट्रकों को लूटने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। सीमा पार कराने के बाद दूसरे छोर पर रोके गए वाहनों को यह फिर से सुरक्षित लाकर अपनी सीमा पार कराते है। हालांकि जिले के किसी भी प्रमुख मार्ग पर पुलिस द्वारा कानबाई नहीं लगाई जाती। लखनऊ-कानपुर हाईवे और उन्नाव-रायबरेली पर लुटेरे ऐसी कई कई घटनाओं को पूर्व में अंजाम दे चुके हैं।

टॉर्च की रोशनी में होती गश्त

वारदात रोकने के लिए पुलिस पेट्रो¨लग की नसीहतें तो खूब दी जाती पर पुलिस कर्मियों के पास संसाधनों का अभाव है। फोर्स की कमी के चलते दो सिपाही बाइक से रात में गश्त करते हैं। पुलिस 100 नंबर वाहन पर ज्यादा भरोसा करती है। हालांकि यह वाहन अपने निश्चित प्वाइंट पर खड़े होकर सूचना मिलने का इंतजार करते हैं। गश्त के दौरान पुलिस के पास ड्रैगन लाइट होनी चाहिए पर यहां ऐसा कुछ नहीं है। पुलिस को टार्च की रोशनी से ही काम चलाना पड़ता है।

वर्दी नहीं, नाममात्र का मिलता है भत्ता

पुलिस कर्मियों से शत-प्रतिशत परिणाम की उम्मीद रखने वाले अधिकारी उनके दर्द को समझने का प्रयास नहीं करते। विभाग द्वारा इन पुलिस कर्मियों को साल में एक बार 2250 रुपये वर्दी भत्ता दिया जाता है। सर्दी, गर्मी और बरसात में इसी भत्ते से इन्हें काम चलाना पड़ता है। इससे एक जोड़ी गर्म वर्दी भी सिलना मुश्किल है। नाम न छापने की शर्त पर गश्त कर रहे सिपाहियों ने बताया कि विभाग काम तो भरपूर चाहता है पर सुविधाएं एक भी नहीं देता। इस सर्दी में बदन को ढकने के लिए मासिक वेतन से गर्म कपड़ों की व्यवस्था करनी पड़ी है।


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