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लाखों खर्च के बावजूद परिषदीय स्कूलों के हैंडपंप सूखे

जागरण संवाददाता उन्नाव परिषदीय स्कूलों के बच्चों की सुविधाओं पर खर्च होने वाला बजट कागजों

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 05:59 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 05:59 PM (IST)
लाखों खर्च के बावजूद परिषदीय स्कूलों के हैंडपंप सूखे

जागरण संवाददाता, उन्नाव : परिषदीय स्कूलों के बच्चों की सुविधाओं पर खर्च होने वाला बजट कागजों में निपट रहा है। राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय लखनऊ की दो सदस्यीय टीम के निरीक्षण में यह राजफाश हुआ है। शुक्रवार को सिकंदरपुर सरोसी, सफीपुर, बिछिया और सिकंदरपुर कर्ण ब्लाक के उच्च प्रावि को उन्होंने जांचा। जहां उन्हें रीबोर के बावजूद हैंडपंप सूखे मिले। हैंडपंप के लिए जिले में पांच स्कूलों को वर्ष 2017-18 में 72500-72500 रुपये मिले थे। बावजूद पेयजल व्यवस्था धड़ाम मिली।

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शैक्षिक सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में समग्र शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय स्कूलों पर खर्च होने वाली रकम से हुए कार्यों को जांचने का कार्य विकासखंड वार स्कूलों में किया जा रहा है। शुक्रवार को अवर अभियंता दिलीप शुक्ला व लाला राम ने अवस्थापना निधि से जुड़ी फाइलों को जांचते हुए सिकंदरपुर सरोसी, पुरवा, सफीपुर, बिछिया व सिकंदरपुर कर्ण ब्लाक के उच्च प्रावि का निरीक्षण किया। जांच टीम के अनुसार स्कूलों में उच्च प्रवि रूपऊ, बिलारी गोझा, रामपुर, रमचरामऊ व राजाखेड़ा का निरीक्षण किया गया। पुरवा ब्लाक का राजाखेड़ा उच्च प्रावि छोड़ उक्त चार ब्लाकों के स्कूल में हैंडपंप दयनीय मिले। उससे पानी नहीं आ रहा था। अवस्थापना निधि के तहत वर्ष 2017-18 में 72500-72500 रुपये से हैंडपंप को रीबोर कराए जाने के बावजूद यह स्थिति है। खंड शिक्षाधिकारी से इस बाबत पूछा गया तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। निरीक्षण के दौरान जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य प्रेम प्रकाश मौर्या मौजूद रहे। जांच टीम के अनुसार पांचों स्कूलों में हैंडपंप लगाए जाने को लेकर कुल 362500 का बजट था।

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विद्युतीकरण को लेकर मिले थे 25388 व 21000 रुपये

- बदहाल पेयजल व्यवस्था को लेकर यह कहना गलत नहीं होगा कि बजट का बंदरबांट किया गया है। उधर, विद्युतीकरण के लिए वर्ष 2017-18 में 1082 स्कूलों को 25388-25388 रुपये मिले थे। वर्ष 2018-19 में 354 स्कूलों के लिए 21-21 हजार रुपये का भुगतान किया गया था। विद्युतीकरण कार्य की हकीकत को भी जांचा जा रहा है।


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