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नई तैनाती से पहले दुनिया से ली विदा

जागरण संवाददाता उन्नाव पुलवामा हमले में शहीद हुए अजीत का गम अभी लोग भुला भी नहीं पाए थे

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 12:26 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 12:26 AM (IST)
नई तैनाती से पहले दुनिया से ली विदा
नई तैनाती से पहले दुनिया से ली विदा

जागरण संवाददाता, उन्नाव : पुलवामा हमले में शहीद हुए अजीत का गम अभी लोग भुला भी नहीं पाए थे, कि 32 दिन बाद छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों से मोर्चा लेते हुए शहर का एक और लाल शहीद हो गया। कानपुर मायके आई पत्नी के पास आए फोन ने परिवार को झकझोर कर रख दिया। इसी माह शहीद को नई तैनाती पर नोयड़ा जाना था। इससे पहले वह दुनिया छोड़कर चला गया। डीएम, एसपी समेत अन्य पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने शहीद के घर पहुंच परिवार को सहारा दिया।

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मूलत: माखी के बेलसी गांव निवासी 42 वर्षीय सीआरपीएफ जवान शशिकांत तिवारी पुत्र स्व. शिवसागर तिवारी का परिवार शहर के मोहल्ला कब्बाखेड़ा में रहता है। पिछले तीन साल से शशिकांत की तैनाती 221 बटालियन छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में थी। लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही छत्तीसगढ़ के नक्सलगढ़ में नक्सलियों का उत्पात शुरू हुआ तो बटालियन के साथ शशिकांत ने भी मोर्चा लेने के लिए कमर कस ली। सोमवार शाम दंतेवाड़ा के अरनपुर थाना क्षेत्र के कोंडासांवली और कमलपोस्ट के बीच नक्सली हमले में शशिकांत शहीद हुए तो परिवार के साथ पूरा शहर शोक में डूब गया। हेडक्वाटर से पहला फोन शहीद की पत्नी अनीता तिवारी के पास आया तो वह फफक पड़ी। उधर मूल निवास बेलसी माखी में थाना पुलिस सूचना लेकर जिससे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।

पति की मृत्यु के बाद बड़े बेटे को खोने के गम में मां सुधा बेहाल हो गईं। उन्होंने बताया कि दो माह पहले बेटे का ट्रांसफर नोयडा हुआ था। इसी माह उसे नोयडा में तैनाती लेनी थी। नई तैनाती से पहले ही वह दुनिया छोड़ गया।

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चार भाइयों में सबसे बड़े थे शशिकांत

शहीद शशिकांत चार भाइयों में सबसे बड़े थे। पुलिस विभाग में सिपाही पद पर तैनात पिता की 2007 में मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद शशिकांत के छोटे भाई विष्णुकांत को पुलिस विभाग में उपनिरीक्षक पद पर नौकरी मिल गई। वर्तमान में विष्णुकांत कानपुर माती में तैनात हैं। दो अन्य भाइयों में मनीष कानपुर और सबसे छोटा आशीष उत्तराखंड़ में प्राइवेट नौकरी करता है। भाइयों को सूचना मिलते ही सभी घर को निकल पड़े।

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16 जनवरी को आए थे घर

शशिकांत की पूर्व में तैनाती दिल्ली पार्लियामेंट थी। जिस पर वह पत्नी अनीता व दो बच्चों 16 वर्षीय देवांश और 7 वर्षीय रिषिका के साथ सरकारी क्वार्टर में रहते थे। बच्चे दिल्ली सेंट्रल स्कूल में पढ़ते हैं। 23 फरवरी को शशिकांत की पत्नी अनीता की भतीजी की शादी कानपुर चौबेपुर के रुद्रपुर गांव से थी। जिस पर 16 जनवरी को शशिकांत पत्नी बच्चों के साथ पहले घर कब्बाखेड़ा आए फिर पत्नी को ससुराल छोड़कर दोबारा घर आ गए 23 जनवरी को वह फिर ससुराल गए और वहीं से शादी निपटाकर 29 जनवरी को पत्नी बच्चों को लेकर दिल्ली पहुंचे, यहां पत्नी बच्चों को छोड़ खुद 31 को दंतेवाड़ा चले गए। रविवार 17 मार्च को ही पत्नी अनीता दिल्ली से मायके कानपुर चौबेपुर आई थी। वहां पति के शहीद होने की सूचना मिली।


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