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अमृत योजना में लाखों के गोलमाल के आरोपों की होगी जांच

जल निगम से दो नगर पालिका में 15 फेस में अमृत पेयजल योजना के लिए 331 करोड़ रुपए का बजट है। नगर पालिका उन्नाव के दस फेस में 253 करोड़ और गंगाघाट में पांच फेस के लिए 7

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 09:27 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 06:29 AM (IST)
अमृत योजना में लाखों के गोलमाल के आरोपों की होगी जांच
अमृत योजना में लाखों के गोलमाल के आरोपों की होगी जांच

जागरण संवाददाता, उन्नाव: जल निगम से दो नगर पालिका में 15 फेस में अमृत पेयजल योजना के लिए 331 करोड़ रुपए का बजट है। नगर पालिका उन्नाव के दस फेस में 253 करोड़ और गंगाघाट में पांच फेस के लिए 78 करोड़ रुपये का बजट मिला है। योजना में लाखों रुपए के गोलमाल की शिकायत की गई है। शिकायत बाद सीडीओ ने तीन सदस्यीय टीम गठित करते हुए जांच रिपोर्ट के लिए समय दिया है।

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शिकायतकर्ता ने उप्र जल निगम पर आरोप लगाया है कि अमृत पेयजल योजना में डाले जा रहे डीआइ पाइप व अन्य सामग्री की टेस्टिग नहीं कराई जा रही है। बाउंड्रीवाल में हनी काम्बिग है। जबकि सीडब्ल्यूआर में हनी कांबिग मान्य नही है। सामग्री की बिना टेस्टिग कंपनी से अधिक कमीशन लेकर भुगतान किया जा रहा है। साथ ही 1000 एमएम व्यास की पाइप लाइन डाली जा रही है। उसके पाइप की टेस्टिग आइआइटी से कराजी जानी चाहिए। जबिक अमान्य सीमेट से कराई जा रही है। देवारा कलां में बनवाया जा रहा डब्ल्यूटीपी में अधोमानक सामग्री प्रयोग की जा रही है। थर्ड पार्टी ऑडिट में कार्य गुणवत्ता खराब का उल्लेख ऑडिट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भी किया है। कार्य अनुबंध की शर्तों पर कार्यदायी संस्था को आठ इनोवा गाड़ी 75000 रुपए प्रति गाड़ी प्रतिमाह के हिसाब से उपलब्ध कराई जानी थी। जो कि नहीं कराई गई। यह सौदा कार्यदायी संस्था से 50000 रुपये प्रति गाड़ी प्रतिमाह के हिसाब से करके कंपनी से वसूल किया जा रहा है। चार कम्प्यूटर ऑपरेटर 18000 प्रति ऑपरेटर की दर से योजना में कार्य के लिए नहीं रखे गए। जबकि कंपनी से इनका भुगतान प्रतिमाह वसूल किया जा रहा है। अमृत पेयजल योजना में गोलमाल की शिकायत जिला पंचायत सदस्य बिछिया द्वितीय उपासन ने की है। गंभीर प्रकरण मान जांच टीम गठित

सीडीओ ने तीन सदस्यीय टीम में अधिशाषी अभियंता प्रांतीय खण्ड, लोक निर्माण विभाग, अधिशाषी अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण विभाग और वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा को जांच की जिम्मेदारी दी है। रिपोर्ट सौंपने को सात दिन का समय जांच टीम को दिया है। पाइप एसजीएस एंड क्राउन से आ रहे हैं। हनी कांबिग नहीं की जा रही है। सारे काम विभागीय गाइड लाइन से किए जा रहे हैं। सभी गाड़ियां चल रही है। जिन्हें सीई, एसई आदि अफसर प्रयोग कर रहे हैं। साइट पर कोई भी चलकर देख सकता है। मेरे पास सामग्री और पाइप के टेस्टिग प्रमाण पत्र हैं।

- केके कटियार, अधिशाषी अभियंता, जल निगम निर्माण इकाई।


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