यातायात नियमों की अनदेखी से होते हादसे
जागरण संवाददाता उन्नाव साल दर साल सड़क हादसों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी के साथ इनम
जागरण संवाददाता, उन्नाव : साल दर साल सड़क हादसों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी के साथ इनमें जान गंवाने वालों या दिव्यांगता का दंश झेलने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। इन हादसों के पीछे अक्सर यातायात नियमों की अनदेखी भी बड़ी वजह बनकर सामने आती है। हालांकि इसके बावजूद नियमों को ताक पर रखने वालों की कमी नहीं है। बड़ी बात यह है कि नियम उल्लंघन करने वालों पर नकेल कसने के जिम्मेदार यातायात कर्मी भी वाहन के कागजों में कमी और हेलमेट चेकिग तक ही सीमित हैं।
यातायात नियमों की अनदेखी को सड़क हादसों की बड़ी वजह माना जाता है। हालांकि इसकी सुध लोगों को उस समय आती है जब कोई उनका अपना हादसे का शिकार होता है। हादसों से सीख लेने के बजाय लोग समय बीतने के साथ इसे भुला फिर नियमों की धज्जियां उड़ाना शुरू कर देते हैं। राह चलते नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले नजारे आसानी से देखने को भी मिल जाते हैं। कहीं गाड़ियों का हैंडल थामे बच्चे फर्राटा भरते हैं तो कहीं नशे में वाहन लहराते लोग। ओवर स्पीडिग, बिना हेलमेट और सीट बेल्ट के वाहन चलाना तो फैशन बन गया है। हालांकि ई-चालन शुरू होने से ऐसे लोगों के साथ ही बेतरतीब वाहनों की पार्किंग में कुछ हद तक सुधार हो रहा है। लेकिन यह सिर्फ शहरों के अंदर तक ही सीमित है।
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नाबालिगों के वाहन चलाने पर लगे लगाम
- बच्चों को हर सुख सुविधा देने का हौसला रखने वाले अभिभावक बिना किसी दुष्परिणाम की परवाह किए उनके हाथों में वाहन सौंप देते हैं। इस चलन पर रोक लगनी चाहिए।
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गलत दिशा में दौड़ते वाहन हैं हादसों की वजह
- समय और ईंधन बचाने की मंशा से अक्सर लोग गलत दिशा में वाहन चलाकर खुद व दूसरे की जान जोखिम में डालने से नहीं चूकते हैं। फोरलेन पर कभी भी ऐसे नजारे देखे जा सकते हैं। वहीं ओवरटेक करते समय वाहन चालक नियमों का पालन नहीं करते जो हादसे का कारण बनता है। इन पर अंकुश लगाने को जिम्मेदार सख्त नहीं हो रहे हैं।
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समस्या नहीं सुरक्षा है हेलमेट और सीटबेल्ट
- सड़क हादसों में अक्सर यह बात सामने आती है कि हेलमेट या सीटबेल्ट लगी होती तो शायद जान बच जाती। बावजूद इसके लोग सुरक्षा की इस अहम कड़ी को जंजाल समझ इससे बचने का प्रयास करते हैं। इसकी कीमत उन्हें हादसे के समय चुकानी पड़ती है।
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यातायात नियमों पर भी काम करें एनजीओ
- एनजीओ और समाजसेवी संस्थाएं विभिन्न सामाजिक मुद्दों को लेकर ढोल पीटती हैं। लेकिन सड़क सुरक्षा जैसे अहम मुद्दे की बात नहीं करती हैं। यातायात व परिवहन विभाग को छोड़ दें तो इस विषय पर कोई ऐसी संस्था काम करती नजर नहीं आती है। एनजीओ को चाहिए कि सड़क सुरक्षा के मुद्दे को लक्ष्य बनाकर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करें और उनका पालन भी कराएं।
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- विभाग के प्रयासों के साथ अगर लोग खुद भी जागरूक होकर यातायात नियमों का पालन करें तो हादसों में कमी आ सकती है।
- गौरव त्रिपाठी, सीओ ट्रैफिक