अंत्येष्टि स्थल पर लोगों के जीवन को खतरा
सुलतानपुर गोमती नदी के किनारे बभनगंवा घाट स्थित श्मशान पर अंतिम संस्कार के आने वाले लोगों
सुलतानपुर : गोमती नदी के किनारे बभनगंवा घाट स्थित श्मशान पर अंतिम संस्कार के आने वाले लोगों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में गर्मी की दोपहरी हो या पूस की ठंड लोग यहां स्थित जर्जर भवन और शेड के नीचे नहीं बैठते हैं। बहरहाल, गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित अंत्येष्टि स्थल पर हुए हादसे से क्षेत्र के ग्रामीण भी सहमे हुए हैं। बभनगंवा में भवन और ईंट निर्मित शेड की जर्जर हालत देख लोग अब वहां जाने से भी बच रहे हैं। यहां पर कुछ माह पूर्व स्थायी बेंच धराशायी हो चुकी है।
पूर्व सरकार में मंत्री रहे विनोद सिंह के कार्यकाल में सात साल पहले गोमती नदी किनारे बभनगंवा घाट के बगल में करीब बीस लाख रुपये की लागत से अंत्येष्टि स्थल का निर्माण कराया गया था। शुरुआत में ही घटिया निर्माण का आरोप लगा, फिर भी ठेकेदार काम पूरा कर भुगतान लेकर चंपत हो गया। शवदाह स्थल पर बने कक्ष की फर्श बनने के साल भर के भीतर ही धंस गई। पिलर व बीम तिरछे हो गए। लोगों के लिए बने कक्ष की दीवारों में दरारें आ गई हैं व प्लास्टर निकल गया है। इसके चलते धूप, ठंड और बरसात में भी लोग कक्ष के गिरने के भय से वहीं नहीं बैठते हैं। अमूमन शव के दाह संस्कार में तीन से चार घंटे लगते हैं। इस दौरान लोग पेड़ों के नीचे ही समय बिताते हैं।
दर्जनों गांवों के लोग हो रहे अव्यवस्था के शिकार :
अंत्येष्टि स्थल पर बरुई, बभनगंवा, झौवारा, अभियाकला, अभियाखुर्द, गोपालपुर, बेलासदा, पूरेबाघराय, बेलामोहन, सिप्तापुर, झलियहवा व कुर्मियनवा सहित दो दर्जन से ज्यादा गांवों के लोग शव दाह करने आते हैं। बहरहाल, यहां की दुर्दशा को देखकर ग्रामीण प्रशासनिक व्यवस्था को कोसते हुए लौटते हैं।
खंड विकास अधिकारी राममिलन वर्मा ने बताया कि हमें इसकी जानकारी नहीं है। जांच-पड़ताल कराई जाएगी। अगर भवन की मरम्मत होनी है तो उसे ग्राम पंचायत की निधि से दुरुस्त कराया जाएगा।