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फसलों की ¨सचाई के लिए जूझ रहे अन्नदाता

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By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 10:55 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 10:55 PM (IST)
फसलों की ¨सचाई के लिए जूझ रहे अन्नदाता
फसलों की ¨सचाई के लिए जूझ रहे अन्नदाता

सुलतानपुर: किसानों की फसलों को जरूरत पर पानी देने के प्रमुख साधन सरकारी नलकूपों के हालात बेहद जर्जर हैं। एक सैकड़ा नलकूप निष्प्रयोज्य हो चुके हैं। जो नलकूप सक्रिय भी हैं उनमें कहीं बिजली उपकरण की खराबी है तो कहीं ¨सचाई के लिए नालियां ही क्षतिग्रस्त पड़ी हैं। ऐसे में राजकीय नलकूप किसानों के लिए छलावा साबित हो रहे हैं।

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किसानों की आय दोगुनी करने की सरकारी मंशा पर ¨सचाई और नलकूप विभाग दोनों ही पानी फेर रहे हैं। नहरों में पानी आने और टेल तक पहुंचने की शिकायतें अंतहीन और आम हो चली है। ¨सचाई का दूसरे साधन राजकीय नलकूप की संख्या कागजों पर 548 है। इसमें से 103 निर्धारित अवधि पूरी करने के बाद निष्प्रयोज्य की स्थिति में पहुंच चुके हैं। ऐसे में जिले के किसान निजी पं¨पग सेट से मनमाने रेट पर फसलों को पानी देने के लिए बाध्य हैं। निजी नलकूप से ¨सचाई की दर 150 से 200 रुपए प्रति घंटा है। सैकड़ों खराब लगेंगे सिर्फ दो दर्जन

किसानों की समस्या को लेकर विभाग की संजीदगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खराब हो चुके 103 नलकूपों के स्थान पर मात्र 24 नए नलकूप लगाए जाने का प्रस्ताव शासन से स्वीकृत हुआ है। एक नलकूप 25 लाख की लागत से स्थापित किया जाएगा। नए वित्तीय वर्ष में इन नलकूपों की स्थापना निष्प्रयोज्य नलकूपों के स्थान पर किया जाना है। अधिशासी अभियंता नलकूप जगदीश प्रसाद ने बताया कि प्रतिस्थापना का कार्य अप्रैल माह में किया जाएगा। यह नहीं स्पष्ट कर सके कि किसानों की फसलों को नए नलकूप कब तक पानी देने की स्थिति में आएंगे।


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