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किस्मत ने किया मजाक,प्रशासन को भी न आई तरस

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By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 11:31 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 11:31 PM (IST)
किस्मत ने किया मजाक,प्रशासन को भी न आई तरस
किस्मत ने किया मजाक,प्रशासन को भी न आई तरस

रुद्रमणि उपाध्याय, गोसाईंगंज (सुलतानपुर) : 6 साल की उम्र में सिर से मां का साया उठ गया। पिता भी आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। सुख सुविधा नही मिली तो पत्नी ने भी साथ छोड़ दिया। खंडहर हो चुके अपने मकान के पास टूटी झोपड़ी में ¨जदगी बिताने को मजबूर कूरेभार के पखनपुर गांव का निवासी सुनील को अब टीबी की बीमारी हो गई। इलाज के लिए न तो पैसे हैं और न तो खाने का इंतजाम। मानवता को झकझोर देने वाली सुनील की यह कहानी प्रशासन के लिए महज मजाक बनकर रह गई है।

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सुनील की मां चम्पा दवा के अभाव में में मर गई। पिता गोवर्धन हत्या व गैंगरेप के आरोप में जेल गया। जेल जाने से पहले 2 बीघा जमीन को भी उसने बेच दी। 8 साल तक रिश्तेदारी में बिताने के बाद जब वह अपने घर लौटा तो उसका मकान भी गिर चुका है। पत्नी भी तलाक देकर चली गई। मेहनत मजदूरी करके वह अपना पेट भरता रहा। समस्याओं की जलिटता से उबरने की कोशिश कर रहे सुनील को अब टीबी की बीमारी ने जकड़ लिया है। 5 माह से वह सुदनापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अपना इलाज करा रहा है। पैसे के अभाव में वह ठीक से अपना इलाज नहीं करा पा रहा है।

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पड़ोसियों के सहारे जिंदगी

सुनील फाके पर जीवन जीने को विवश है। न तो पैसा है न ही घर में अनाज। पास-पड़ोस के लोगों के द्वारा दी गई रोटी के टुकड़ों पर वह पलने को मजबूर है। छुआछूत की वजह से होने वाले संक्रमण की वजह से गांव वाले भी उसे अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं होते।

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प्रशासन से भी उपेक्षा

सरकारी इमदाद के नाम पर सुनील बिल्कुल बेसहारा है। न तो रहने के लिए घर है और न ही राशन कार्ड। ग्राम प्रधान से लेकर विकास खंड के अधिकारियों तक वह आवास-राशन कार्ड के लिए कई बार फरियाद कर चुका है,लेकिन किसी के कान में जूं तक नहीं रेंक रही है। जबकि सच यह है कि इसी ग्राम सभा में कई लोगों को दो-दो बार आवास योजना का लाभ दिया गया है।


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