शहर में दो किलोमीटर की दूरी तय करने में लगते हैं घंटों
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सुलतानपुर: स़ड़कों पर बेतरतीब वाहनों के खड़े होने, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन व अतिक्रमण इत्यादि के चलते बस अड्डा भी जाम से बेबस नजर आता है। बसों को यहां तक पहुंचने व शहर से बाहर निकलने में घंटों जूझना पड़ता है। शहर के एंट्री प्वाइंट पर पहुंचने के बाद बस अड्डे तक पहुंचना और शहर से बसों के बाहर निकलने पर यात्रियों को ऐसा महसूस होता है, जैसे किसी ने उन्हें देर तक पानी में डुबाने के बाद बाहर निकालकर जान बख्श दी हो। बढ़ैयावीर मार्ग से लेकर आजाद पार्क व गोपाल दास बाबा पुल तक हमेशा जाम ही जाम। कोतवाली मार्ग पर भी यही नजारा.। कभी-कभी स्टेट बैंक गली भी जाम हो जाती है। अतिक्रमण के चलते संकरी हो चुकी सड़कों पर लोग जूझते नजर आते हैं। वीआइपी वाहन भी यहीं आकर फंसते हैं और हूटर-सायरन भी निरर्थक साबित होता है।
------------ बेतरतीब पार्किंग रोकती है रास्ता
बस स्टेशन परिसर के सामने सिविल लाइन की मुख्य सड़क गुजरती है। इसी रास्ते गोलाघाट, चौक घंटाघर, कोतवाली, लखनऊनाका व बस स्टेशन तक पहुंचा जाता है। अतिक्रमण से रोडवेज के सामने करीब बीस फिट चौड़ा फुटपाथ नदारद हो गया है। दुकानों के अतिक्रमण, दुपहिया व चार पहिया वाहनों की भी बेतरतीब पार्किंग हमेशा रास्ता रोक लेती है। सुबह दस बजे से लगा जाम रात्रि नौ बजे तक यथावत रहता है। अतिक्रमण पर पुलिस सिर्फ गीदड़भभकी देती नजर आती है।
व्यवसायी श्रवण कुमार आहूजा कहते हैं कि नियमित रूप से अतिक्रमणकारियों के चालान काटे जाएं तो आधी समस्या खत्म हो जाएगी।
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गैस एजेंसी के हॉकर रामलौट का कहना है कि अक्सर जाम के चलते मैं सिलेंडर लोगों के घरों तक समय पर नहीं पहुंचा पाता हूं। बस स्टेशन के सामने जाम लगा रहता है।
व्यवसायी पवन पोपटानी कहते हैं कि स्थाई समाधान के लिए रोडवेज बसों को भी सड़कों पर बेतरतीब खड़े करने पर रोक लगे। ------------
अतुल श्रीवास्तव का कहना है कि जब तक फुटपाथ पर दुकानों के सामने स्थाई रूप से ग्रिल नहीं लगाई जाएगी। तब तक अतिक्रमण नहीं रुकेगा।