तीन ही वर्षों में आरओबी पर धंस गए गाटर
सुलतानपुर कुड़वार नाक रेलवे ओवर ब्रिज तीन साल में ही क्षतिग्रस्त हो रहा है। पुल की ऊपरी
सुलतानपुर: कुड़वार नाक रेलवे ओवर ब्रिज तीन साल में ही क्षतिग्रस्त हो रहा है। पुल की ऊपरी सतह जगह जगह टूट गई है। 2018 में बने इस ब्रिज के गार्टर भी उभर आए हैं।
एक माह पहले राज्यपाल के प्रस्तावित आगमन के मद्देनजर इन गड्ढों को पैबंद (जोड़) लगा कर भरा गया है। निर्माण के बाद इसके रख रखाव की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को दी गई है। यहां की सभी रेलवे क्रासिग पर ओवर ब्रिज बने हैं। एक को छोड़ कर सभी क्रासिग से आवागमन स्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। ऐसे में इन पुलों पर यातायात का दबाव रहता है। चार ओवर ब्रिज में पुलिस लाइन रेलवे क्रासिग पर बने पुल की स्थित बेहद जल्दी खराब हो गई है। नगर के सबसे बड़े मुहल्लों विवेकनगर, निरालानगर, करौंदिया, पुलिस लाइन सहित चुनहा और ग्रामीण क्षेत्र में कुड़वार से लेकर अन्य बड़ी आबादी की आवाजाही जिला मुख्यालय तक इसी पुल से होती है। - देख रेख में बरती गई उपेक्षा
इतने महत्व के बाद भी पुल के देखरेख में बरती गई उपेक्षा के चलते इसकी आरंभिक पर्त लगातार टूट रही है। करोड़ों की लागत से निर्मित इस पुल का लोकार्पण 21 अप्रैल 2018 को हुआ था। सेतु निगम ने पुल पर यातायात आरंभ होने के बाद इसे लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित कर दिया। विभाग की ओर से आरंभिक स्तर पर पुल के क्षतिग्रस्त होने की अनदेखी की गई। नतीजन समय बीतने के साथ पुल निरंतर क्षतिग्रस्त होता रहा और विभाग अनजान बना रहा। अब पुल पर कई स्थानों पर डाली गई गिट्टियां फिर उखड़ रही हैं। ऐसे में तेज रफ्तार से चलने वाली मोटर साइकिलों और ई-रिक्शा के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका हर समय बनी रहती है। - किए जाएंगे उपाय
लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता डीके अहीरवार ने बताया कि इस पुल पर तकनीकी कारण से गड्ढे हुए हैं। ब्रिज की सुरक्षा के लिए सेतु निगम ने ऊपरी सतह पर तारकोल व गिट्टी से इसका लेपन किया है। अधिक यातायात और वर्षा से इसको क्षति पहुंचती है। फिलहाल रिपेयरिग कराई गई है। आवश्यकता पड़ने पर पूरे ब्रिज पर समतल लेयर बनाई जाएगी।