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जंग-ए-कर्बला की दास्तां सुन रो पड़े अकीदतमंद

संवादसूत्र, सुलतानपुर : इमाम हुसैन और उनके बहत्तर साथियों की दास्तां सुन सोमवार को अकीदतमं

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 12:36 AM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 12:36 AM (IST)
जंग-ए-कर्बला की दास्तां सुन रो पड़े अकीदतमंद

संवादसूत्र, सुलतानपुर : इमाम हुसैन और उनके बहत्तर साथियों की दास्तां सुन सोमवार को अकीदतमंद रो पड़े। मौका था छठीं मुहर्रम पर मजलिस का। अमहट के इमामबाड़ी तुराबखानी में मौलाना कसीम अब्बास बिजनौरी ने कर्बला का मंजर मार्मिक अंदाज में बयां किया। कहाकि यजीद ने जुल्म की इंतिहा कर दी थी। बावजूद इसके इसके हुसैन इंसानियत के लिए जुल्म-ओ-सितम सहने से कतई नहीं हिचकिचाए।

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मौलाना कासिम ने कहा कि यजीद उस दौर का दहशतगर्द था। जिसके खिलाफ आवाज बुलंद की थी इमाम हुसैन और उनके बहत्तर साथियों ने। जंग में हुसैन ने अपना सबकुछ खो दिया। तब भी वे अड़े रहे। उन्होंने कभी भी ईमानदारी और इंसानियत नहीं छोड़ी। आज के दौर में वे नजीर हैं। मजहब कोई भी हो, इंसानियत से बड़ा कोई दीन नहीं होता। मुसलमान भी वही है जिसका ईमान मुसल्लम हो। सच्चा मुसलमान कभी भी दहशतगर्द नहीं हो सकता। वहीं शहर के शाहगंज इलाके में इमामबाड़ा हुसैन अकबर से छठीं मुहर्रम का जुलूस रविवार की देररात रवायती अंदाज में निकाला गया। अंजुमनों ने मार्मिक नौहे पढ़ें और सीनाजनी कर कर्बला के मंजर को याद किया। लोग रोते रहे और मातम करते रहे। या हुसैन या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। भांई, पीथापुर, चुनहा, बेलहरी, इसौली, कुड़वार, लम्भुआ आदि इलाकों में भी देररात तक मजलिस का दौर चलता रहा।


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