शिक्षा का चिराग रोशन कर रहा 'कस्बा सुलतानपुर'
संवादसूत्र, सुलतानपुर : जब पहली जंग-ए-आजादी लड़ी गई तो सुलतानपुर वासियों ने कुछ ऐसे बगावती
संवादसूत्र, सुलतानपुर : जब पहली जंग-ए-आजादी लड़ी गई तो सुलतानपुर वासियों ने कुछ ऐसे बगावती तेवर दिखाए कि फिरंगियों से जिले की सत्ता ही छिन गई। पौने दो साल ये जिला आजाद रहा। इसका शिला कुछ यूं मिला कि 1858 में पुन: फिरंगियों ने जिले पर कब्जा किया और सुलतानपुर को बिना चिरागी घोषित कर इसे नष्ट कर डाला..। आदि गंगा गोमती तट पर बसा यह वही शहर है जो अब गांव में तब्दील हो अब गांव के रूप में कस्बा सुलतानपुर के नाम से जाना जाता हे।
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इन पर है नाज
कस्बा सुलतानपुर को सौभाग्य हासिल है कि यहां हर तरह के लोग निवास करते हें। राजनीति के क्षेत्र में बेचूं खा का पुरवा निवासी मो.ताहिर खां लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद तक पहुंचे। सरकारी नौकिरयों में भी यहां के बा¨सदे पीछे नहीं। सेवानिवृत्त आयकर आयुक्त जगदीश प्रसाद यहीं के निवासी हैं। साहित्य जगत में केएनआई के ¨हदी विभागाध्यक्ष डॉ.राधेश्याम ने भी शेाहरत की बुलंदी हासिल की। चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ.आरए वर्मा व डॉ.एके ¨सह की जिले ही नहीं प्रदेश भर में शोहरत है।
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जिले में दूसरे नंबर का सबसे बड़ा गांव
करीब 15 हजार की आबादी वाले इस गांव में करीब साढ़े आठ हजार वोटर हैं। शहर का रूप लेते जा रहे इस गांव में सात पुरवे हैं। जमीदार रहे मा¨नद बेचू खां, इमामदीन के नाम पर पुरवा तो है ही, पाले खान का पुरवा, पांचोंपीरन, झीसा खां का पुरवा, पुराना नगर व नया नगर में सघन आबादी बसती है। देश के प्रमुख इंज निय¨रग काल ज में शुमार कमला नेहरू प्रौ्द्योगिकी संस्थान व कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक विभाग संस्थान इसी ग्राम पंचायत का हिस्सा है।
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विशिष्टता
गजेटियर के मुताबिक सुलतानपुर का प्राचीन शहर गोमती के उत्तरी तट पर स्थित था। जिसे महाराज कुश ने बसाया था। उस जमाने के खंडहर आज भी उसका टीला के नाम से यहां विद्यमान है। साथ ही संप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक पांचोपीरन की दरगाह भी यहीं है।
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ऐसा हो तो बने बात
शहर से सटा होने के बावजूद गांव में प्राथमिक विद्यालयों की कमी है। आबादी के लिहाज से सिर्फ एक जूनियर हाईस्कूल व एक प्राथमिक विद्यालय है। जो कि अपेक्षा से काफी कम है। इंटर कालेज की भी दरकार है। पुरवों को संपर्क मार्ग जोड़ते तो हैं लेकिन लगातार मरम्मत न होने से जीर्णशीर्ण हो चुकी है।
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शहर के समीप होने की वजह से सघन आबादी है। सुरक्षा का भी संकट बना रहता है। इसके लिए जरूरी है कि पुलिस सक्रिय हो। हमने सड़कों के किनारे स्ट्रीट लाइट का पर्याप्त इंतजाम किया है। जरूरत है सीसी सड़कें बनवाई गई हैं। बारहवीं तक के कुछ और स्कूल खुल जाएं तो बात बन जाए।
-बड़कऊ, ग्राम प्रधान।
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शहर की तरह गांव का विकास होना चाहिए था। मैने अपने कार्यकाल में पूरा प्रयास किया। सड़कें बनवाईं, जिसका नतीजा है कि बड़ी संख्या में लोग यहां पर लगातार बस रहे हैं। कालोनियां आबाद हो रही हैं। बाजार के विकास के लिए सरकार को भी अतिरिक्त प्रयास करना चाहिए। जिससे कि ये इलाका शहर का हिस्सा हो जाए।
-दयाराम यादव, पूर्व प्रधान।