उपकरण न उमंग,कैसे लड़ेंगे मच्छरों से जंग
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संवादसूत्र, सुलतानपुर : बारिश का मौसम खत्म होते ही शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इनसे फैलने वाले डेंगू, मलेरिया, चिकुनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियों के मरीज भी अस्पताल व नर्सिंग होम में बढ़ते जा रहे हैं। शहर का हाल ये है कि नुक्कड़ों-चौराहों पर जमा कूड़े का अंबार सफाई व्यवस्था की हकीकत बयां कर रहा है। पालिका दावे तो खूब कर रही है। पर, आबादी के हिसाब से उसके पास न तो संसाधन हैं और न ही कोई ठोस योजना। फिर भी मच्छरों से जंग लड़ने की तैयारी कागजों पर बना ली गई है।
शहर की आबादी है करीब सवा दो लाख। 25 वार्डों में फैले दर्जनों गली-मुहल्लों में बजबजाते नाले-नालियां और लचर सफाई व्यवस्था के चलते पालिका के समक्ष मच्छरों से निपटने की चुनौती है। सीवरलाइन और कूड़ा निस्तारण प्रबंधन के इंतजाम न होने से समस्या और भी विकराल है। शहर डेढ़ सौ साल पुराना है और पालिका भी अंग्रेजी हुकूमत के दौर की है। व्यवस्था भी बदलते वक्त के हिसाब से आधुनिक नहीं हो पाई है। सुबह गली-मोहल्लों में झाडू और कूड़ा बटोरने के बाद सफाईकर्मी इन्हें वार्डवार नुक्कड़ों-चौराहों पर ही एकत्र कर देते हैं, जो कई-कई दिनों बाद तक उठाए नहीं जाते हैं। बानगी हैं जमाल गेट, दरियापुर रोड पर लाइफलाइन हास्पिटल व पारकींसगंज का गया प्रसाद चौराहा।
-------- पचीस वार्ड, तेरह दिन का रोस्टर, मशीनें सिर्फ तीन
पालिका की कवायद कुछ यूं है। फा¨गग मशीन सिर्फ तीन है, दो छोटी और एक बड़ी। इनमें भी एकाध उधार पर ग्रामीणांचल की पंचायतों को चली जाती हैं। बची सिर्फ दो, इन्हीं के भरोसे 13 दिन का रोस्टर 25 वार्डों के लिए बना दिया गया है। 17 से 30 तक के रोस्टर में चार दिन गुजर चुके हैं, रोस्टर की मानें तो करौंदिया, खैराबाद, नरायनपुर, ठठेरी बाजार, घोसियाना, पुरानी बाजार, डिहवा, निरालानगर में फा¨गग निपट गई है। ..लेकिन क्षेत्रवासियों को पता नहीं।
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इनसेट
समस्या के स्थाई समाधान की कोशिश में लगे हैं हम पालिकाध्यक्ष बबिता जायसवाल कहते हैं कि फॉ¨गग में प्रयुक्त रसायन गुणवत्तापूर्ण रहेगा तो मच्छर मरेंगे। रोस्टर भी छिड़काव की सुगमता के मुताबिक संशोधित किया जाएगा। जिससे मशीन जिधर से गुजरे उस क्षेत्र का कोई मुहल्ला अछूता न रह जाए। अत्याधुनिक उपकरणों की भी व्यवस्था के लिए शासन से पत्राचार किया जा रहा है। कूड़ा निस्तारण की समस्या के स्थाई समाधान की कोशिश में हम लगे हुए हैं। शासन से बात चल रही है।